• Friday, 22 November 2024
विश्व रेडियो दिवस: रेडियो का साथ ऐसा था जैसे जीवन से सांस का

विश्व रेडियो दिवस: रेडियो का साथ ऐसा था जैसे जीवन से सांस का

DSKSITI - Small

अरुण साथी (वरिष्ठ पत्रकार)

आज विश्व रेडियो दिवस है। रेडियो का साथ ऐसा था जैसे जीवन से सांस का। रेडियो सातवीं-आठवीं क्लास से लेकर इंटर तक गलबहियां किए हुए रहा। बगैर रेडियो के कुछ भी अच्छा नहीं लगता। रेडियो बजाने के लिए बैटरी खरीदनी पड़ती थी तो इसके लिए काफी मशक्कत करना पड़ता था।

रेडियो से जुड़ी हुई कई यादें हैं, कुछ खास यह कि रेडियो ने ही गजलों की समझ पैदा की। उर्दू के कुछ अल्फाज सिखाए।

चमकते चांद को टूटा हुआ तारा बना डाला, होठों से छू लो तुम जैसे गजल रेडियो पर सुनते सुनते अंतःकरण में बस गए।

लता मंगेशकर, मुकेश और रफी के गीत आज ही बजते हैं तो उसके एक एक शब्द मन के अंतःकरण में घूमने लगता है।

बिहार में पटना रेडियो से प्रसारित होने वाला चौपाल शायद ही कभी उसको मिस करते थे। कई लोग उसको एक साथ मिलकर पूरा प्रोग्राम सुनते थे। गांव में 7:30 बजते ही समाचार सुनने कि जैसे एक प्रतिस्पर्धा होती थी। जिस गली से गुजर जाईये उसी गली में रेडियो पर 7:30 का प्रादेशिक समाचार गूंज रहा होता था।

बीबीसी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय समाचार का एकमात्र सबसे विश्वस्त सूचना का तंत्र था।

आज बहुत कुछ बदल गया है परंतु समाचार अथवा संगीत से उस तरह का जुड़ाव नहीं हो पा रहा। हालांकि आज के दौर में रेडियो को आम लोगों की पहुंच से दूर कर दिया गया है।

स्मार्ट मोबाइल की तकनीक में जहां सभी टेक्नोलॉजी है वहां इस मोबाइल में आज ही सहजता से रेडियो उपलब्ध नहीं है। बड़े शहरों में स्मार्ट मोबाइल से लेकर छोटे मोबाइल में भी एफएम रेडियो की सुविधा तो है परंतु गांव में आज भी स्मार्ट मोबाइल से लेकर किसी भी मोबाइल पर रेडियो उपलब्ध नहीं है। रेडियो को बचाने की दिशा में यह एक बड़ा कदम हो सकता है। हर हाथ में मोबाइल है और इसको यदि रेडियो से जोड़ दिया जाए तो हर हाथ में आज फिर से रेडियो आ जाएगा। कुछ लोग तो जरूर ही इसका उपयोग करेंगे।

DSKSITI - Large

पता नहीं इसके पीछे का क्या मनोविज्ञान है अथवा व्यापारिक प्रतिस्पर्धा है। कुछ है परंतु इसकी बड़ी जरूरत है। हालांकि मैं रेडियो अभी प्रत्येक दिन लगातार सुनता हूं। रात में धीरे धीरे आवाज रेडियो की बजती रहती है और नींद में भी संगीत गूंजता रहता है। अब रेडियो सुनने का अंदाज अलग हो गया है। डीटीएच पर स्पीकर की सुविधा के साथ ही उपलब्ध है। उसी का आनंद लेता हूं।

फेसबुक से साभार

new

SRL

adarsh school

st marry school

Share News with your Friends

Comment / Reply From