• Saturday, 23 November 2024
वामपंथी देशप्रेमी नहीं! राहुल गांधी में नेतृत्व क्षमता नहीं.. किसने कहा..

वामपंथी देशप्रेमी नहीं! राहुल गांधी में नेतृत्व क्षमता नहीं.. किसने कहा..

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एडिटोरियल डेस्क/अरुण साथी

राहुल गांधी में नेतृत्व की क्षमता नहीं। सोनिया गांधी पुत्र मोह में कांग्रेस को बर्बाद कर रही। वामदलों को भारत से ज्यादा दूसरे देशों से मोहब्बत है। वामदलों के पाखंड के चलते ही देश में हिंदुत्ववादी ताकतों को मजबूती मिली है। पांचवी पीढ़ी के राजबंशी राहुल गांधी का कर्मठ नरेंद्र मोदी के सामने राजनीति में भविष्य नहीं। मोदी का सबसे बड़ा लाभ यह है कि वह राहुल गांधी नहीं है। वह सेल्फमेड है। उन्होंने 15 वर्षों तक राज्य को चलाया है। उनके पास प्रशासनिक अनुभव है। वह बेहिसाब मेहनती और कभी छुट्टी पर यूरोप नहीं जाते।

भारत में सामंतवाद खत्म हो रहा है। लोकतंत्र मजबूत हो रहा है। लेकिन कांग्रेस में ठीक इसके उलट हो रहा है। सोनिया गांधी दिल्ली में है। उनका सल्तनत तेजी से सिमट रहा है। लेकिन उनके चमचे उनको बता यही रहे कि आप ही बादशाह है।

आप लोगों ने कई गलतियां की हैं। लेकिन राहुल गांधी को लोकसभा में भेजकर आपने विनाशकारी काम किया है।

वामदलों के पाखंड के चलते ही हिंदुत्व का प्रसार हो रहा है। वामपंथियों को अपने देश से ज्यादा दूसरे देश से लगाव है। वे सिमटते जा रहे हैं लेकिन उन्हें समझ नहीं।

अगर हिंदूवादी ताकतों को रोका नहीं गया तो देश बर्बाद हो जाएगा।

उक्त बातें कोई भक्त नहीं कह रहा। बल्कि नरेंद्र मोदी के कट्टर विरोधी, आलोचक और प्रसिद्ध इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने केरल में आयोजित केरल लिटरेचर फेस्टिवल में कही है।

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यही बातें यदि किसी और तरफ से आती तो अंध विरोधी हंगामा मचा देते। परंतु देर से ही सही रामचंद्र गुहा ने यथार्थ को केरल की धरती पर रख दिया। शायद उन्हें आत्म ज्ञान प्राप्त हो गया होगा।

देश के तथाकथित सेकुलर अथवा प्रगतिशील मुसलमान भी जब तीन तलाक, हलाल, अमानवीय मुद्दों पर खामोश हो जाते हैं। विरोध नहीं करते हैं। CAA जैसे इन देशों में प्रताड़ना के शिकार लोगों को मानवीय आधार पर सम्मान देने के कानून का विरोध करते हैं तब जो सर्वधर्म समभाव के विचारधारा वाले सच्चे सेकुलर होते हैं उनके सामने यही कठिन परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है।

तथाकथित सेकुलर और प्रगतिशील मुसलमान भी तुष्टीकरण के प्रभाव में इतने प्रभावित हैं कि वे लोग भी हमेशा चाहते हैं कि उनके पक्ष की ही बात कही जाए।

जब उनके मन की बात नहीं होती तो वह हमलावर हो जाते हैं । कट्टरपंथियों की भाषा में जवाब देने लगते हैं और आज भारत में एक बड़ा वर्ग उनके विरुद्ध इसीलिए उठ खड़ा हुआ है। लोकतंत्र बहुमत का तंत्र है।जब हम राष्ट्रवाद से इतर दुश्मन देश की प्रशंसा और आतंकी विचारधारा वाले लोगों के साथ खड़े हो जाते हैं तो देश का मानस इसके विरोध में खड़ा हो जाता है। वैसे में राम चंद्र गुहा के इस आत्मज्ञान को आत्मसात करने की जरूरत है। हालांकि यह होगा नहीं।

अब रामचंद्र गुहा तथाकथित सेकुलर के निशाने पर होंगे। उधर कपिल सिब्बल ने भी कह दिया है कि सी ए ए का कोई राज्य विरोध नहीं कर सकता। उसको लागू करने से मना नहीं कर सकता।

आंखें खोलने की जरूरत है। सच का सामना करने की जरूरत है। हमें एक प्रगतिशील, विकासशील, सर्वधर्म समभाव, सभी को समान मानने वाले समाज को गढ़ने की जरूरत है। किसी भी धर्म अथवा जाति के लोगों को विशेष मानने से दूसरे की कुंठा मुखर होकर सामने आया है और समाज में विभेद पैदा हो रहा है।

अरुण साथी के ब्लॉग चौथाखंभा से साभार

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