• Monday, 29 April 2024
अनसुनी कहानी: गरम दल के क्रांतिकारी राजेंद्र प्रसाद का कटा हाथ कोर्ट लेकर आते थे अंग्रेज

अनसुनी कहानी: गरम दल के क्रांतिकारी राजेंद्र प्रसाद का कटा हाथ कोर्ट लेकर आते थे अंग्रेज

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  1. अनसुनी कहानी: गरम दल के क्रांतिकारी राजेंद्र प्रसाद का कटा हाथ कोर्ट लेकर आते थे अंग्रेज

अरुण साथी, (बरबीघा, शेखपुरा)

ए मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भर लो पानी , जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो कुर्बानी। आजादी के 75 वें वर्षगांठ के अवसर पर 15 अगस्त को गलियों और शहरों में देशभक्ति गीत गूंजने लगते हैं। इन्हीं देशभक्ति गीतों के द्वारा यह एहसास भी होता है कि देश की आजादी में कितनी कुर्बानियां शहीदों ने दी है। हालांकि बाद में हम इन कुर्बानियों को भूल भी जाते हैं। देश के लिए ऐसे ही कुर्बानी देने वाले एक क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानी राजेंद्र प्रसाद भी हैं। जिनका हाथ अंग्रेज चिकित्सकों के द्वारा काट दिया गया और फिर कटे हुए हाथ को अंग्रेज कोर्ट में सबूत के रूप में पेश करते थे। यह क्रांतिकारी राजेंद्र प्रसाद बरबीघा के शेरपर गांव निवासी थे।

क्या हुआ था मामला कैसे कटा हाथ

राजेंद्र प्रसाद के पुत्र विजय सिन्हा कहते हैं कि उनके पिता दसवीं की पढ़ाई करने के लिए अपने ननिहाल कदम कुआं पटना चले गए। उनके मामा वकील और मुख्तार थे। उनकी पढ़ाई लिखाई पटना में शुरू हुई । इसी बीच में भगत सिंह के गरम दल से जुड़े और क्रांतिकारी बन गए। देश के आजादी का संकल्प लिया और अभियान में जुट गए। इसी अभियान में जुटने के बाद एक अंग्रेज अधिकारी के मौत की योजना क्रांतिकारी साथियों के साथ मिलकर बनाई। वह अंग्रेज अधिकारी ट्रेन से आने वाला था। सारी योजना बनाए जाने के बाद बम से उसे उड़ाने की योजना राजेंद्र प्रसाद ने बनाई

बम बनाने की ट्रेनिंग ली

राजेंद्र प्रसाद भगत सिंह के अभियान के प्रमुख क्रांतिकारी साथी थे। उन्होंने बम बनाने का प्रशिक्षण लिया था। अपने ननिहाल के घर में छुप कर उन्होंने बम बनाए और फिर एक थैले में भरकर अपने एक सरदार साथी के साथ चुपके से बंका घाट की ओर रेल पर आने वाले अंग्रेज को उड़ाने के लिए चल दिए। इसी दौरान भूलवश बम विस्फोट हो गया। इसी बम विस्फोट में उनका एक साथी शहीद हो गया । जबकि राजेंद्र प्रसाद बेहोश होकर वही पीपल पेड़ के पास गिर गए । फिर उन्हें किसी तरह से मामा के सहयोग से हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। इसकी भनक अंग्रेजों को लगते ही अंग्रेजों ने साजिश रची और डॉक्टर के सहयोग से इस साजिश को सफल बनाया। डॉक्टरों ने उनका हाथ काट दिया। साथ ही बताया कि बम विस्फोट से जख्मी हाथ खतरनाक हो गया था। हालांकि यह साजिश के तहत किया गया था। हाथ कटने के बाद राजेंद्र प्रसाद ने यह भी कहा कि उनका हाथ तो कट गया परंतु बम बनाने का आईडिया वे अपने साथियों को देते रहेंगे।

कम्युनिस्ट पार्टी के नेता बने

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उसके बाद फिर वह जेल चले गए और लगातार संघर्ष भी किया। बाद में कई आंदोलनों में उनकी भूमिका रही। कोलकाता में भी जाकर अंग्रेज अधिकारी पर बम से हमला किया। स्वतंत्रता सेनानी के इस संघर्ष को आज भी देश नमन कर रहा है। बाद के दिनों में राजेंद्र प्रसाद कम्युनिस्ट पार्टी के क्रांतिकारी अभियान नेता बने और गरीबों के हक की लड़ाई लड़ते रहे । बरबीघा का कम्युनिस्ट पार्टी कार्यालय उनके नाम पर ही आज भी स्थापित है।

आलेख अरुण साथी के ब्लॉग चौथा खंभा से साभार

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