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                शेखपुरा
शेखपुरा जिले में कोविड-19 जांच के फर्जीवाड़े का मामला सामने आते ही जहां प्रदेश स्तर और राष्ट्रीय स्तर पर हंगामा मचा हुआ है वहीं अधिकारियों के द्वारा जांच भी की जा रही है। राज्य स्तरीय निर्देश के आलोक में शेखपुरा जिले के सभी 6 प्रखंडों में जाकर रहने वाले लोगों से पूछताछ करके रिपोर्ट बनानी है । इसी को लेकर शनिवार को बरबीघा प्रखंड, घाटकुटुंभा प्रखंड, शेखोपुरसराय प्रखंड में जांच की गई। अधिकारी घर-घर जाकर लोगों से पूछताछ कर रहे हैं कि कोविड-19 जांच कराया या नहीं। लोग कह रहे हैं कि उनके द्वारा जांच कराई गई है। कई लोगों से मोबाइल नंबर पर भी पूछताछ हो रही है। कई के घरों में गलियों में घूम घूम कर अधिकारी पूछ रहे हैं जांच कराया या नहीं।
लोग बोल रहे है All Is well
बरबीघा में कोविड-19 जांच करने के लिए DDC सत्येंद्र सिंह एवं सिविल सर्जन डॉ वीर कुंवर सिंह पहुंचे। उनके साथ प्रखंड प्रभारी ADM डॉ अर्चना कुमारी भी थी। बरबीघा अस्पताल पहुंचकर जांच किया फिर वहां से तेउस गांव पहुंचे। जहां कई घरों में गए लोगों से कोविड-19 जांच कराने के बारे में पूछा। सभी के द्वारा जांच की बात स्वीकार की गई।

घाटकुसुंभा में यह जिम्मेवारी DPM श्याम कुमार निर्मल और ADM सत्य प्रकाश शर्मा को दिया गया। उन्होंने भी प्रखंड के अस्पताल पहुंचकर इसकी जानकारी ईकट्ठा किया और गांव में जाकर लोगों से पूछताछ की। लोगों ने जांच की बात स्वीकार की है। शेखोपुरसराय में अपर अनुमंडल पदाधिकारी ASDM राजीव कुमार पहुंचे और कोविड-19 की जांच की। सभी फाइलों को देखा और लोगों से पूछा की। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार सभी जगह जांच की बात लोगों ने स्वीकार की है।
मोबाइल नंबर 0000000 कोई बड़ी बात नहीं
 
                                
                                
                                                इसको लेकर मिली जानकारी में स्वास्थ्य विभाग के लोगों ने बताया कि मोबाइल नंबर 000000 बड़ी बात नहीं है । जब लोग जांच कराने के लिए आते थे तो कई के पास मोबाइल नंबर नहीं होने से यह परेशानी हुई है। ऑनलाइन पोर्टल पर जब मोबाइल नंबर डाला जाता था तो वहां बगैर मोबाइल नंबर दिए पोर्टल आगे नहीं बढ़ता था इसलिए वहां 00 देने की मजबूरी हो गई। बताया जाता है कि जांच की हड़बड़ी और टारगेट को पूरा करने को लेकर यह सब किया गया है। अगर जीरो नंबर नहीं दिया जाता तो फिर पोर्टल आगे नहीं बढ़ता और जांच की प्रक्रिया रुक जाती। राज्य सरकार से ऐसा कोई निर्देश नहीं था कि जिनका मोबाइल नंबर नहीं है उनका जांच नहीं करना है। सभी का आधार कार्ड आवश्यक जरूरी बनाया गया था।
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