• Friday, 22 November 2024
एक क्रिकेट प्रेमी के मन की बात: क्रिकेट टूर्नामेंट के आयोजन के कमाई का व्यवसाय बन जाने की शिकायत

एक क्रिकेट प्रेमी के मन की बात: क्रिकेट टूर्नामेंट के आयोजन के कमाई का व्यवसाय बन जाने की शिकायत

DSKSITI - Small

एक क्रिकेट प्रेमी के मन की बात: क्रिकेट टूर्नामेंट के आयोजन के कमाई का व्यवसाय बन जाने की शिकायत

अतिथि कॉलम- Nks Tuttu

शेखपुरा/ बरबीघा।

क्षेत्रीय एवं ग्रामीण खेल आयोजनों का अपना महत्व होता है। युवाओं में यैसे आयोजनों को लेकर काफी उत्साह रहता है। पिछले 15 वर्षों में विशेषकर क्रिकेट स्पर्धाओं की लोकप्रियता काफी बढ़ी है। नियमितता नहीं है पर बहुत सारे गाँव लौंग और शार्ट पिच क्रिकेट का आयोजन बढ़ चढ़कर आयोजित कर रहे हैं। बड़ी संख्या में टीमें भी इसमें भाग लेती है। दर्शक भी खूब रुचि लेते हैं। मेले सा माहौल रहता है लेकिन इन दिनों टूर्नामेंट के नाम पर सिर्फ बदइंतजामी दिख रही है। यैसे आयोजन महज खानापूर्ति बनकर रह गए हैं। आलोचक इसे कमाई का जरिया का आयोजन कहने लगे हैं।

जानकारी हो कि ठंड और गर्मी के सीजन में जगह-जगह क्रिकेट स्पर्धाएं आयोजित होती है लेकिन अधिकतर आयोजन स्थलों पर सुविधाओं का भारी अभाव रहता है। भरी दुपहरी के आयोजन में भी व्यवस्था के नाम पर महज 15 गुणे 10 फ़ीट के त्रिपाल से काम चलाया जा रहा है। कहीं पानी है तो माइक नहीं। कहीं उबर खाबड़ खेत है तो कहीं त्रिपाल भी नहीं। कहीं दो बिस्किट के लिए मेहमान खिलाड़ी को बार-बार पूछना पड़ता है। खिलाड़ी अपने निजी वाहनों में ही ठहरने को मजबूर रहते हैं। सुरक्षा की व्यवस्था के नाम पर भी कुछ नहीं रहता है।

आयोजक जोश में स्पर्धाओं का कार्यक्रम तो बना लेते हैं पर उसकी व्यवस्था पर कोई ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं। गर्मी के दिनों में दर्शक छांव और पानी के लिए भटकते रहते हैं। मैन ऑफ द मैच/ सीरीज और विजेता/उपविजेता कप के नाम पर खानापूर्ति की जाती है। ड्रेस का क्या कहने एक रंग के कैप भी नहीं दिखाई देते हैं। प्रशस्ति पत्र देने की भी औपचारिकता भी नहीं निभाई जाती। अंपायरिंग में भी निष्पक्षता के अभाव के कारण अक्सर विवाद और झगड़े की आशंका बनी रहती है। मेजबान टीम की भूमिका हर वक्त संदिग्ध बनी रहती है।

खेल में प्रोफेशनलिज्म यानी नियम नैतिकता से खिलबाड़ किया जाता है। जबकि आज क्षेत्रीय खेल भी खिलाड़ियों के उभरने के प्लेटफार्म बन गए हैं। खिलाड़ियों को एक पहचान मिलती है जिससे जिलास्तरीय और राज्यस्तरीय टीम में चयन होने का मौका मिलता है। कई युवा बौरो बनकर कुछ कमा लेते हैं। चौके छक्के पर कई क्रिकेट प्रेमी प्रोत्साहन राशि भी मुक्तहस्त देते हैं। बताया जाता है कि इसी गली क्रिकेट से ही हार्दिक पांड्या जैसे कई खिलाड़ी सामने आए हैं। कई राज्यों में यैसे आयोजनों को बढ़ावा दिया जा रहा है। युवा खुद ईमानदारी से नियमों का पालन करते हैं। विभिन्न राज्यों में क्रिकेट ही नहीं कबड्डी, फुटबॉल, वॉलीबॉल, कुश्ती, बैडमिंटन, हैंडबॉल जैसे कई खेल आज क्षेत्रीय और ग्रामीण स्तर पर खेले जा रहे हैं।

तीन चार दशक पहले बिहार में भी कुश्ती आयोजित किये जाते थे जो आज न के बराबर होते हैं। बिहार में भी खेल संस्कृति को समृद्ध करने की जरूरत है। आज खेल केवल मनोरंजन के साधन नहीं बल्कि रोजगार देने का सबसे बड़ा माध्यम बन गए हैं। बीपीएड, बीपीई जैसे पाठ्यक्रम में अच्छे संस्थान में प्रवेश के लिए कोई खेल में राज्यस्तरीय और राष्ट्रीय खेल प्रमाण पत्र मांगे जा रहे हैं। रेलवे, सेना, पुलिस और अन्य विभागों में अच्छा फिजिकल जांच किया जा रहा है। वहां खिलाड़ियों के लिए स्पेशल भर्ती भी निकाले जा रहे हैं। राजस्थान, हरियाणा, पंजाब जैसे राज्यों में खेल और खेल की पढ़ाई स्कूल कॉलेज में अनिवार्य बना दिए गए हैं। आज खेलकूद से भी युवा नबाव बन रहे हैं। परिजन भी खेल को पॉजिटिव व्यू से देखने लगे हैं।

DSKSITI - Large

आलेख Nks Tuttu पैन गांव निवासी के facebook से साभार

new

SRL

adarsh school

st marry school

Share News with your Friends

Comment / Reply From