उत्तर भारत का तिरुपति है विष्णु धाम : एक किलो चांदी की छतरी चढ़ाई
उत्तर भारत का तिरुपति है विष्णु धाम : एक किलो चांदी की छतरी चढ़ाई
बरबीघा
बिहार के शेखपुरा जिले के बरबीघा प्रखंड के सामस गांव में स्थित प्रसिद्ध विष्णु धाम मंदिर। इस मंदिर को उत्तर भारत का तिरुपति कहा जाता है और यहां की मुख्य आकर्षण भगवान विष्णु की प्राचीन प्रतिमा है, जो पाल कालीन काल (लगभग 1100 वर्ष पुरानी) से जुड़ी हुई है। यह प्रतिमा ग्रेनाइट पत्थर से निर्मित है और ऐतिहासिक एवं धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।
चांदी की छतरी की स्थापना:
भगवान विष्णु की प्रतिमा पर श्रद्धालुओं की आस्था और मनोकामना की पूर्ति के प्रतीक स्वरूप एक किलो चांदी की छतरी स्थापित की गई। यह छतरी विशेष रूप से भगवान विष्णु के मुकुट के ऊपर लगाई गई है।
दानदाता और निर्माण:
इस चांदी की छतरी का निर्माण आकर्षक ढंग से किया गया है। इसे सामस गांव के निवासी सेवानिवृत्त कैप्टन के.के. सिंह ने भगवान विष्णु को समर्पित किया। दानदाता के पुत्र संटू कुमार सहित परिवार के कई सदस्य उच्च पदों पर कार्यरत हैं। यह छतरी उनके परिवार द्वारा भगवान के प्रति गहरी श्रद्धा और कृतज्ञता का प्रतीक है।
विशेष आयोजन और उपस्थित लोग:
चांदी की छतरी की स्थापना के अवसर पर विष्णु धाम मंदिर समिति के अध्यक्ष डा. कृष्ण मुरारी प्रसाद सिंह सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु और स्थानीय निवासी उपस्थित थे। डॉ. सिंह ने बताया कि यह छतरी किसी श्रद्धालु की मनोकामना पूर्ण होने के बाद समर्पित की गई है।
प्रतिमा की ऐतिहासिकता:
भगवान विष्णु की यह प्रतिमा पाल वंश के समय की है और लगभग 1100 वर्ष पुरानी मानी जाती है। यह प्रतिमा मंदिर परिसर के पास स्थित एक प्राचीन तालाब की खुदाई के दौरान प्राप्त हुई थी।
मंदिर की महत्ता:
सामस स्थित यह विष्णु धाम मंदिर अपने धार्मिक महत्व और ऐतिहासिकता के कारण दूर-दूर से श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। इसे उत्तर भारत का तिरुपति भी कहा जाता है, जो इसके महत्व को और भी बढ़ाता है।
श्रद्धालुओं की आस्था:
यह छतरी श्रद्धालुओं की आस्था और भगवान विष्णु के प्रति गहरी भक्ति का प्रतीक है। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि यहां की गई पूजा और अर्पण उनकी मनोकामनाओं को पूर्ण करता है।
विष्णु धाम में चांदी की छतरी का समर्पण धार्मिक श्रद्धा, परंपरा और ऐतिहासिक धरोहर को संजोने का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि भारतीय इतिहास और संस्कृति का भी जीवंत प्रतीक है।
Comment / Reply From
You May Also Like
Popular Posts
Newsletter
Subscribe to our mailing list to get the new updates!