
पढ़िए ऐसे गांव की कहानी जहां जगह जगह बिखरी है 1000 साल पुरानी भगवान की मूर्तियां

पढ़िए ऐसे गांव की कहानी जहां जगह जगह बिखरी है 1000 साल पुरानी भगवान की मूर्तियां
शेखपुरा, बिहार
यह एक ऐसी गांव की कहानी है जहां आज से 1000 साल से भी पहले प्रतिमाओं का भंडार था। इस गांव में राजा पाल वंश के शासन के समय का प्रतिमा लगातार मिलती रहा है और प्रतिमाएं जहां-तहां बिखरी हुई है। जब भी इस गांव में तालाब की खुदाई का काम होता है।
तब उस दौरान कई बेशकीमती प्रतिमाएं मिलती है। यह गांव है शेखपुरा जिला के सदर प्रखंड अंतर्गत मेहुस गांव। गांव में 3 साल पहले एक तालाब की जब खुदाई की गई तो दर्जनों प्रतिमाएं वहां से निकली। जिसमें भगवान सूर्य, भगवान विष्णु, शिव पार्वती, भगवान हरिहर की प्रतिमाएं शामिल है।

पिछले सप्ताह भी एक और बड़े तालाब की जब खुदाई जेसीबी मशीन से गांव के लोग कराने लगे तो वहां भी तीन बड़ी-बड़ी भगवान विष्णु और सूर्य की प्रतिमाएं मिली। खुदाई में जेसीबी मशीन के प्रयोग से हालांकि एक भगवान विष्णु की प्रतिमा खंडित हो गई परंतु जब गांव वाले सतर्क हुए तो दो बड़े-बड़े प्रतिमाओं को वहां से निकाला गया। सुरक्षित मंदिर में रखा गया। इन्हीं प्रतिमाओं का निरीक्षण शनिवार को बिहार सरकार के पुरातत्व विभाग के सहायक संग्रहालय अध्यक्ष शिवकुमार मिश्र ने किया।

गांव में सबसे पूरब तालाब की खुदाई
गांव में सबसे पूरब तालाब की खुदाई में एक ही स्थान से दर्जनों खंडित और संपूर्ण प्रतिमाएं मिली है। इनमें कई प्रतिमाएं जिले में पहली बार मिली है । निरीक्षण करने आए पुरातत्व विभाग के अधिकारी एवं संग्रहालय के सहायक अध्यक्ष शिवकुमार मिश्र ने बताया कि यहां हरिहर भगवान की अनूठी प्रतिमा खंडित अवस्था में मिली है।
इस प्रतिमा के चेहरे का आधा भाग भगवान शिव का और आधा भाग भगवान विष्णु का है । साथ ही यहां छोटी-बड़ी कई प्रतिमाएं भगवान शंकर और माता पार्वती की मिली है। इसी गांव के हजार साल से भी अधिक पुराने माता महेश्वरी की मंदिर में भी पाल कालीन माता महेश्वरी की अद्भुत प्रतिमा है। इस स्थान पर माता पार्वती और शिव, भगवान विष्णु और सूर्य की कई खंडित प्रतिमाएं बरगद के पेड़ के नीचे फेंका हुआ है। ग्रामीण कंचन कुमार , पंडित धनंजय उपाध्याय ने बताया कि गांव में दर्जनों प्रतिमाएं मिलती रहती है जिसे लाकर ग्रामीण यहां रख दिए हैं।




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