
प्राकृतिक के साथ खिलवाड़ रोकने की जरुरत: विनेश

शेखपुरा
आधुनिकीकरण और औद्योगिकीकरण के चलते विश्व में प्रकृति के साथ बड़े पैमाने पर जो खिलवाड़ हो रहा है, इसे ध्यान में रखते हुए आमजन को पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक करने की जरूरत है उक्त बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत कार्यवाह विनेश प्रसाद ने स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा। उन्होंने कहा अगर हम सब प्रकृति संरक्षण में अपनी सक्रिय भागीदारी निभाने का संकल्प लेते हुए ईमानदारी से अमल करें तों आज प्रदूषित हो रहे प्रर्यावरण को हम रोक सकते हैं ।
बिगड़ते पर्यावरणीय संतुलन और मौसम चक्र में आते बदलाव के कारण जीव-जंतुओं की अनेक प्रजातियों के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। उन्होंने कहा हमें यह भली-भांति जान लेना चाहिए कि इन प्रजातियों के लुप्त होने का सीधा असर समस्त मानव सभ्यता पर पड़ना अवश्वयम्भावी है।
प्रकृति हमारी मां के समान है
प्रकृति हमारी मां के समान है, जो हमें अपने प्राकृतिक खजाने से ढेरों बहुमूल्य चीजें प्रदान करती है लेकिन अपने स्वार्थों के चलते खुद को ही प्रकृति का स्वामी समझने की भूल करने लगे हैं । प्राकृतिक तबाही के लिए प्रकृति को हम कैसे दोषी ठहरा सकते हैं । दोषी तो हम स्वयं हैं, जो इतने साधनपरस्त और आलसी हो चुके हैं कि अगर हमें अपने घर से थोड़ी ही दूरी से भी कोई सामान लाना पड़े तो पैदल चलना हमें गवारा नहीं।
छोटी-सी दूरी के लिए भी हम स्कूटर

इस छोटी-सी दूरी के लिए भी हम स्कूटर या बाइक का सहारा लेते हैं। छोटे-मोटे कार्यों की पूर्ति के लिए भी निजी यातायात के साधनों का उपयोग कर हम पैट्रोल, डीजल जैसे धरती पर ईंधन के सीमित स्रोतों को तो नष्ट कर ही रहे हैं, पर्यावरण को भी गंभीर नुकसान पहुंचा रहे हैं और पैदल चलना छोड़कर अपने स्वास्थ्य के साथ भी खिलवाड़ कर रहे हैं। हमारे क्रियाकलापों के चलते ही वायुमंडल में कार्बन मोनोक्साइड, नाइट्रोजन, ओजोन और पार्टिक्यूलेट मैटर के प्रदूषण का मिश्रण इतना बढ़ गया है कि हमें वातावरण में इन्हीं प्रदूषित तत्वों की मौजूदगी के कारण सांस की बीमारियों के साथ-साथ टीबी, कैंसर जैसी कई और असाध्य बीमारियां जकड़ने लगी हैं। पैट्रोल, डीजल से पैदा होने वाले धुएं ने वातावरण में कार्बन डाईऑक्साइड और ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा को बेहद खतरनाक स्तर तक पहुंचा दिया है।
वृक्षारोपण में दिलचस्पी लें
पेड़-पौधे कार्बन डाईऑक्साइड को अवशोषित कर पर्यावरण संतुलन बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं, इसलिए जरूरत है कि हम अपने-अपने स्तर पर वृक्षारोपण में दिलचस्पी लें और पौधारोपण के पश्चात् उन पौधों की अपने बच्चों की भांति ही देखभाल करें। पर्यावरणीय असंतुलन के बढ़ते खतरों के मद्देनजर हमें खुद सोचना होगा कि हम अपने स्तर पर प्रकृति संरक्षण के लिए क्या योगदान दे सकते हैं। अगर हम वाकई चाहते हैं कि हम और हमारी आने वाली पीढ़ियां साफ-सुथरे वातावरण में बीमारी मुक्त जीवन जीएं तो हमें अपनी इस सोच को बदलना होगा । संबोधन पूर्व प्रांत कार्यवाह द्वारा नीम के वृक्ष की पूजा की गई । मौके पर जिला कार्यवाह अनील कुमार, सह जिला कार्यवाह अभय कुमार,शिवम् कुमार, गोपाल कुमार सहित अन्य लोग उपस्थित थे ।
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