• Monday, 09 June 2025
युवाओं को नहीं मिल रहा टीका तो गांव वाले अभद्र व्यवहार कर भगा रहे टीका कर्मी को 

युवाओं को नहीं मिल रहा टीका तो गांव वाले अभद्र व्यवहार कर भगा रहे टीका कर्मी को 

stmarysbarbigha.edu.in/
शेखपुरा
 
शेखपुर कोविड-19 महामारी के दौर में टीकाकरण को ही सबसे बड़ा हथियार माना गया है । कई देशों में टीकाकरण के प्रभाव के बाद कोविड-19 के खतरे को कम होने और सामान्य जनजीवन पटरी पर लौटने की खबरें आती रही हैं। भारत में भी इसी हथियार के सहारे कोविड-19 को पराजित करने के प्रयास हो रहे हैं। परंतु गांव के लोगों के द्वारा इस कवायद पर पानी फेरा जा रहा है। एक तरफ जहां युवाओं के मिलने वाले टीकाकरण में वैक्सीन की कमी की वजह से प्रभावित हुआ है और 2 दिनों से टीकाकरण का काम बंद है तो वही गांव में टीका एक्सप्रेस के पहुंचने पर काफी समझाने बुझाने के बाद भी गांव के लोग टीका नहीं ले रहे ।
गांव से टीकाकर्मी में खाली हाथ वापस लौट रहे हैं। बहुत जोर देने पर टीका कर्मी के साथ अभद्र व्यवहार भी किया जाता है। कुछ गांव में टीका कर्मी से गाली गलौज के भी समाचार मिले हैं। सर्वाधिक नकारात्मक स्थिति घाटकुसुंभा और चेवाड़ा प्रखंड में सामने आ रही है। बरबीघा प्रखंड, शेखपुरा प्रखंड, शेखोपुरसराय प्रखंड, अरियरी प्रखंड में भी यही स्थिति है। कुछ गांव में जागरूक लोगों के द्वारा कोविड-19 प्रतिरोधी टीका का लिया जा रहा है और स्वास्थ्य कर्मियों को सहयोग भी किया जा रहा है।
वहीं रविवार को बरबीघा रेफरल अस्पताल के प्रशासनिक पदाधिकारी डॉ अरशद बभनीमा गांव में गए । वहां टीका  एक्सप्रेस पहुंचा तो एक भी लोगों ने टीका नहीं लिया। गांव-गांव गली-गली घूमने के बाद काफी समझाने बुझाने के बाद एक भी लोग आगे नहीं आए और किसी ने टीका नहीं लगाया। निराश होकर टीकाकरण टीम वहां से वापस लौट गई। इसी तरह की स्थिति काजीचक में भी देखने को मिला वहां भी टीकाकरण टीम जब पहुंची तो एक भी व्यक्ति के द्वारा कोविड-19 विरोधी टीका नहीं लिया गया। पिंजड़ी गांव में मात्र 10 लोगों ने टीका लिया। मालदह गांव में मात्र 20 लोगों ने टीका लगवाया।

झोलाछाप डॉक्टर ऐंठ रहे पैसे

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कहते हैं कि यह नकारात्मक स्थिति है । लोगों में काफी भय हैं । लोग कहते हैं कि टीका लेने के बाद बुखार लग जाता है और गांव के झोलाछाप डॉक्टर ग्रामीणों को डरा दे रहे हैं। बुखार लगने के बाद उनसे पैसे भी ले जाते हैं। कुछ ग्रामीणों ने बताया कि बुखार लगने पर गांव के डॉक्टर 2000 से भी अधिक रुपए सुई दवाई के नाम पर लेते हैं। जबकि   सरकारी अस्पताल में बुखार लगने के बाद गांव के लोग पहुंचे यहां मुफ्त दवाएं दी जाएगी और किसी तरह का पैसा नहीं लगेगा। बेहतरीन डॉक्टर से इलाज भी होगा। टीका एक कारगर हथियार है और गांव के लोगों को इसका उपयोग करना चाहिए। कोविड-19 महामारी से लड़ना जरूरी है।
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