• Wednesday, 21 May 2025
Good News: फेंके गए नवजात को कैसे मिली ममता की छांव, जानिए

Good News: फेंके गए नवजात को कैसे मिली ममता की छांव, जानिए

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फेंके गए नवजात को मिली ममता की छांव: शेखपुरा में पहली बार बालक का दत्तक ग्रहण

 

शेखपुरा:

 

कभी झाड़ियों में अनचाहे फेंके जाने वाले नवजातों की जिंदगी अब ममता की गोद में महफूज़ हो रही है। शेखपुरा ज़िले के लिए सोमवार का दिन ऐतिहासिक बन गया, जब पहली बार स्थानीय विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान में रह रहे सात माह के बालक दिव्याकृति को विधिसम्मत प्रक्रिया के तहत एक सिंगल मदर को गोद दिया गया। उत्तर प्रदेश से आई यह महिला अब उस बालक की मां बन गई है, जिसे कभी किसी ने जन्म तो दिया लेकिन अपनाया नहीं।

 

ज़िला पदाधिकारी आरिफ एहसान ने बताया कि दिव्याकृति की देखभाल पिछले सात महीनों से स्थानीय दत्तक ग्रहण संस्थान में हो रही थी। जुवेनाइल जस्टिस एक्ट व दत्तक ग्रहण अधिनियम के सभी प्रावधानों का पालन करते हुए यह प्रक्रिया यहीं सफलतापूर्वक पूरी हुई। अब तीन वर्षों तक नियमित फॉलो-अप के जरिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बालक को पूरा स्नेह और सुरक्षा मिल रही है।

 

जब मातृत्व की गोद में जाते हुए बालक की किलकारी गूंजी, तो वहां मौजूद अधिकारी भावुक हो उठे। यह सिर्फ एक कानूनी प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक परित्यक्त जीवन को फिर से संवारने की ईश्वरीय योजना का हिस्सा था।

ईश्वर जीवन देता है, और जब समाज उसे स्वीकार करता है, तब वह जीवन और भी सुंदर हो उठता है।

 

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इस पुनीत अवसर पर जिला बाल संरक्षण इकाई की सहायक निदेशक श्वेता कौर, सीपीओ सुरेंद्र कुमार, सामाजिक कार्यकर्ता श्रीनिवास, सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष किरण शर्मा, वरीय उपसमाहर्ता सरोज पासवान व जितेंद्र कुमार समेत कई अधिकारी उपस्थित थे।

 

सामाजिक कार्यकर्ता श्रीनिवास ने अपील की कि यदि किसी को भी किसी परित्यक्त बालक की जानकारी मिले, तो तुरंत चाइल्ड हेल्पलाइन, स्थानीय पुलिस या बाल संरक्षण इकाई को सूचित करें। उन्होंने कहा, “झाड़ियों में किसी बालक को फेंक देना उसके जीवन को संकट में डालना है। यदि आप सच में उसकी भलाई चाहते हैं, तो उसे कानूनी रूप से संस्था को सौंपें, ताकि वह भी ममता और सम्मान से भरा जीवन जी सके।”

 

गौरतलब है कि पहले शेखपुरा में परित्यक्त बच्चों को नवादा भेजा जाता था। लेकिन अब यहां खुद का विशिष्ट दत्तक ग्रहण संस्थान बन जाने से यह संपूर्ण प्रक्रिया यहीं सम्पन्न हो रही है — यह न सिर्फ प्रशासन की सफलता है, बल्कि इंसानियत की भी जीत है।

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