• Monday, 09 June 2025
एकमात्र कमाऊ पूत का विदेश में मौत ऐसी की लाश भी देखना नसीब नहीं

एकमात्र कमाऊ पूत का विदेश में मौत ऐसी की लाश भी देखना नसीब नहीं

stmarysbarbigha.edu.in/
बरबीघा
एकमात्र कमाऊ पूत ने अपनों के परवरिश के लिए विदेश जाने का संकल्प लिया और फिर वह वहां से लौटकर नहीं आए। उसके इस दुनिया से चले जाने की खबर आई। कोरोना की वजह से मौत के शिकार हुए बरबीघा के सर्वा गांव निवासी विनीत कुमार 35 वर्ष के उम्र में कमाई के लिए घाना चले गए। उनके बड़े भाई बिनोद की मौत 2010 में ही सड़क हादसे में हो गई थी। माता-पिता भी नहीं थे। वैसे में पूरे परिवार की परवरिश की जिम्मेदारी उनके ऊपर थी और फिर महाराष्ट्र में एक ही कंपनी में काम करते हुए उनको अफ्रिका के घाना जाने का ऑफर मिला ।

दोस्तों ने मना किया था

दोस्त उनको विदेश जाने से मना करते रहे परंतु उनके ऊपर अपने बड़े भाई के परिवार के साथ साथ अपने बच्चों की परवरिश की भी जिम्मेवारी थी। तीन माह पहले ही उनके वीजा का समय खत्म हो गया परंतु कोविड-19 की वजह से आने नहीं दिया गया । आखिरकार उनकी मौत की ही खबर आई। स्टील कंपनी के प्रबंधक ने घरवालों को कोरोना से मौत होने की सूचना दी। स्थिति ऐसी रही की लाश भी यहां लाने की मशक्कत हो गई। अंततः घर वालों ने काल्पनिक का लाश कुश का बनाकर बाढ़ में उसका दाह संस्कार किया। बड़े भाई के बेटे ने मुखाग्नि दी।
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विधवा की चीत्कार

मृतक की विधवा की चीत्कार से गांव का हर एक मर्माहत है । मृतक के दो बेटी और एक बेटा है। बेटी सुहाना 7 वर्ष की है। मुस्कान 5 वर्ष की है। जबकि छोटा बेटा केशव 3 बर्ष का है। उसे यह भी पता नहीं कि उसकी मां क्यों रो रही है परंतु उसके मां के चित्कार से हर किसी के आंख में आंसू भर आए थे। पड़ोस की महिलाएं उन्हें सांत्वना दे रही थी। भगवान पर भरोसा रखिए। भगवान सब ठीक करेंगे।
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