जन्म लेते ही शिशु को झाड़ियों में मरने के लिए फेंक और
जन्म लेते ही शिशु को झाड़ियों में मरने के लिए फेंक और
शेखपुरा
गुरुवार की दोपहर बरबीघा प्रखंड के माउर गांव में वह हृदयविदारक दृश्य सामने आया जिसने मानवता को कटघरे में खड़ा कर दिया। किसी निर्दयी माता या क्रूर सोच से भरे व्यक्ति ने जन्म लेते ही एक मासूम कन्या शिशु को झाड़ियों में मरने के लिए फेंक दिया। समाज के इस अमानवीय और कुत्सित चेहरे ने पूरे गांव को स्तब्ध कर दिया।
झाड़ियों में नवजात के पड़े होने की सूचना स्थानीय लोगों तक पहुंची तो वार्ड पार्षद प्रसून कुमार भल्ला ने तुरंत बरबीघा थाना को इसकी जानकारी दी। सूचना मिलते ही दरोगा गौतम कुमार पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे और कांटों से भरी झाड़ियों में से बच्ची को बाहर निकालकर थाने ले आए। वहां से जिला बाल संरक्षण इकाई को सूचित किया गया, जो तुरंत पहुंचकर नवजात को संरक्षण में ले गई।
मासूम की हालत बेहद दयनीय थी—उसका नाभि तक नहीं काटा गया था। नन्हें शरीर पर झाड़ी के तीखे कांटों के निशान थे। दर्द से चीखती वह बच्ची मानो दुनिया से पूछ रही थी—“मेरा क्या अपराध था?” ग्रामीणों ने बताया कि जिस तरह उसे फेंका गया था, वह दृश्य किसी भी संवेदनशील व्यक्ति को अंदर तक हिला देने वाला था।
बाल संरक्षण इकाई की टीम ने उसे तुरंत सदर अस्पताल के शिशु नवजात देखभाल केंद्र में भर्ती कराया, जहां डॉक्टरों की टीम उसकी स्थिति पर लगातार नजर रख रही है और उसे आवश्यक चिकित्सा दी जा रही है।
यह घटना केवल एक परित्यक्त नवजात की कहानी नहीं, बल्कि समाज की उस भयावह मानसिकता का आईना है, जो आज भी बेटी को बोझ मानकर जन्म के साथ ही उसके जीवन का अधिकार छीन लेती है। अथवा यह किसी कुंवारी माता ने समाज के डर से करेजे पर पत्थर रख कर कलयुगी माता बनी होगी।
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