लावारिस नवजात को महिला ने लौटाया, डीएम के आदेश पर बाल कल्याण समिति ने लिया कब्जा
लावारिस नवजात को महिला ने लौटाया, डीएम के आदेश पर बाल कल्याण समिति ने लिया कब्जा
शेखपुरा
जिले के बरबीघा थाना अंतर्गत छबीला ठीका गांव में बीते सोमवार को सरसों के खेत में एक लावारिस नवजात शिशु फेंका हुआ मिला। गांव की एक महिला, कांति देवी, ने नवजात को अपने संरक्षण में लेकर उसकी देखभाल शुरू कर दी। गांव वालों ने इस घटना की सूचना जिला बाल कल्याण समिति को दी।
बाल कल्याण समिति के अधिकारी जब नवजात को अपने कब्जे में लेने गांव पहुंचे, तो महिला ने बच्चे को सौंपने से इनकार कर दिया। गांव वालों ने भी इसका विरोध किया, जिसके कारण समिति को खाली हाथ लौटना पड़ा। घटना के बाद, जिलाधिकारी आरिफ हसन ने मामले का संज्ञान लेते हुए बाल कल्याण समिति को महिला के खिलाफ प्राथमिक दर्ज करने का आदेश दिया।
बाल कल्याण समिति ने लिया नवजात को अपने संरक्षण में
डीएम के आदेश का असर हुआ, और शुक्रवार को कांति देवी ने नवजात को बाल कल्याण समिति के कार्यालय में लौटाया। हालांकि, कार्यालय में भी महिला ने हंगामा किया। अब नवजात शिशु की देखभाल सदर अस्पताल में संचालित नवजात शिशु देखभाल केंद्र में की जा रही है। चिकित्सकों की देखरेख में शिशु का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है।
जिलाधिकारी के निर्देश पर प्राथमिकी की पहल
बाल संरक्षण इकाई के सदस्य श्रीनिवास ने बताया कि नवजात को बाल संरक्षण में लेने के लिए गांव पहुंचने पर उन्हें महिला और ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ा। नियमों के अनुसार, किसी भी लावारिस नवजात को बाल संरक्षण इकाई अपने संरक्षण में लेती है और उसे दत्तक ग्रहण केंद्र में रखकर उसकी परवरिश करती है। जिलाधिकारी के निर्देश पर महिला के खिलाफ बरबीघा थाना में प्राथमिकी दर्ज के लिए आवेदन दिया गया। जिसके बाद बच्चा लौटाया गया।
दो महीने तक माता-पिता कर सकते हैं दावा
बाल संरक्षण इकाई के सामाजिक कार्यकर्ता श्रीनिवास ने बताया कि लावारिस नवजात के माता-पिता के पास दो महीने का समय होता है, जिसमें वे अपने बच्चे का दावा कर सकते हैं। यदि इस अवधि में कोई दावा नहीं करता, तो बच्चे को गोद लेने के लिए उपलब्ध कर दिया जाता है। गोद लेने की प्रक्रिया के लिए 50,000 रुपये की फीस निर्धारित है। शेखपुरा में संचालित दत्तक ग्रहण केंद्र में फिलहाल एक बच्ची और अब दूसरा नवजात भी है, जिसकी परवरिश की जा रही है।
सदर अस्पताल में नवजात की देखभाल जारी
बाल संरक्षण अधिकारी सुरेंद्र कुमार ने बताया कि डीएम की सतर्कता के चलते नवजात को सुरक्षित वापस लिया जा सका है। अब नवजात की देखभाल सदर अस्पताल में हो रही है। मामला बाल संरक्षण इकाई की निगरानी में है।
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