• Monday, 20 January 2025
श्राद्ध के बाद गंगा स्नान कर शुद्धिकरण का बढ़ा चलन तो जा रही है लोगों की जान

श्राद्ध के बाद गंगा स्नान कर शुद्धिकरण का बढ़ा चलन तो जा रही है लोगों की जान

stmarysbarbigha.edu.in/

श्राद्ध के बाद गंगा स्नान कर शुद्धिकरण का बढ़ा चलन तो जा रही है लोगों की जान 

 

शेखपुरा

 

श्राद्ध कर्म के बाद गंगा स्नान कर शुद्धिकरण का चालान जैसे-जैसे बढ़ा वैसे-वैसे गंगा नदी में डूबने से मौत होने की संख्या में भी वृद्धि हो गई। पिछले महीना नालंदा जिला के मालती गांव निवासी राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच के सेवानिवृत पदाधिकारी अवधेश कुमार, उनके जीजा हरदेव प्रसाद और इनका बेटा नीतीश कुमार और एक ग्रामीण महिला मंजू देवी की भी मौत हो गई थी।

 

 

 16 जून की हुई इस घटना के बाद से कितनी जान पटना जिले के बाढ़ उमानाथ गंगा घाट पर गई है । ऐसे ही एक शुद्धिकरण में शेखपुरा जिला के बंगालीपर मोहल्ला निवासी दो बच्चियों की जान उमानाथ गंगा घाट में डूबने से चली गई। 

 

यह सभी लोग अपने पूरे परिवार के साथ दादा का श्रद्धा खत्म होने के उपरांत शुद्धिकरण के लिए गंगा स्नान करने गए थे। 

 

बताया जाता है कि बुजुर्ग बलराम शाह अपने पुत्र रामायण वर्मा और मनोहर वर्मा के साथ दिल्ली में रहते थे ।

 

दिल्ली में ही उनका निधन हो गया। श्राद्ध का काम शेखपुरा के बंगाली पर स्थित पैतृक घर में किया गया। श्राद्ध खत्म होने के बाद परिवार के कई सदस्य बाढ़ उमानाथ गंगा स्नान कर शुद्धिकरण के लिए गए ।

 

 

जहां रामायण वर्मा के छठी क्लास में पढ़ने वाली 14 वर्षीय पुत्री अनु कुमारी,

 

 

 मनोहर वर्मा के दूसरी कक्षा में पढ़ने वाली 8 वर्षीय पुत्री माही कुमारी की डूबने से मौत हो गई।

 

 हालांकि 17 वर्षीय नेहा कुमारी और 26 वर्षीय सुनीता देवी को डूबने से किसी तरह बचाया गया। 

 

गंगा स्नान में डूबने से लगातार मौत हो रही है । उधर, श्रद्धा के बाद गंगा स्नान करने का चलन में बीते कुछ सालों में भारी तेजी से वृद्धि हुआ है। 

 

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27 जुलाई 2022 को भी शेखपुरा जिले के बरबीघा के राजौरा गांव निवासी मुकेश प्रसाद का पूरा परिवार गंगा में समा गया था ।

 

मुकेश प्रसाद की 100 वर्षीय माता के निधन के बाद परिवार के 22 लोग उमानाथ गंगा घाट स्नान के लिए गए थे। जहां पांच की डूबने से मौत हो गई थी।

 

 मुकेश और उनका बेटा चंदन कुमार, उनकी बेटी सोनी कुमार की डूबने से मौत हो गई थी। जबकि दो अन्य लोग भी डूब गए थे। 

 

हर साल कई लोगों की जान गंगा स्नान के दौरान डूबने से जा रही है। 

 

जानकारों की माने तो गंगा स्नान के लिए जाने वाले लोगों में जागरूकता की भी कमी है। उन्हें तैरना भी नहीं आता, फिर भी गहरे पानी में चले जाते हैं। 

 

पटना जिला प्रशासन के द्वारा उमानाथ गंगा घाट पर स्नान करने वाले क्षेत्र की कोई घेरा बंदी नहीं की गई है।

 

 वहां किसी प्रकार के तैराक की भी व्यवस्था नहीं है। 

 

ऐसे में लोगों की जान वहां जा रही है।

 

 शुद्धिकरण के नाम पर बढ़े इस चलन में लोगों की जान जाने की घटना पर लोग शोक व्यक्त कर रहे हैं। हालांकि जानकार यह भी कहते हैं कि यह कोई अंतिम घटना नहीं है।

 

 आगे भी ऐसी ही घटनाएं घटती रहेगी। लोगों  को इसके लिए सतर्क और सावधान होना पड़ेगा।

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