विष्णु धाम मंदिर घोटाला का सच: 1 करोड़ 81 लाख आमदनी, धार्मिक न्यास बोर्ड ने क्या कहा
विष्णु धाम मंदिर घोटाला का सच: 1 करोड़ 81 लाख आमदनी, धार्मिक न्यास बोर्ड ने क्या कहा
पंचायत भवन निर्माण और मछली पालन विष्णु धाम मंदिर में बना विवाद का कारण
पंचायत भवन निर्माण और मछली पालन विष्णु धाम मंदिर में बना विवाद का कारण
मछली पालन से मना करने पर विवाद को दी गई हवा
पंचायत भवन के पास गैर मजरुआ जमीन पर कब्जे की नियत
शेखपुरा
विष्णु धाम मंदिर न्यास कमेटी पर लगाए गए आरोप में सच की पड़ताल की गई। इस सच की पड़ताल में परत दर परत कई मामले खुलकर सामने आए। इसमें बिहार राज धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष का पत्र भी सामने आया जिसमें सारे तथ्यों को खुलकर रखा गया ।
धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष ने स्पष्ट रूप से विष्णु धाम मंदिर में किसी भी तरह की गड़बड़ी को खारिज किया और पुनः विष्णु धाम के कमेटी को 5 साल के लिए नियुक्ति दे दी। इसमें अध्यक्ष डॉक्टर कृष्ण मुरारी प्रसाद ही बनाए गए । तीन लोगों को नया शामिल भी किया गया। पूरे मामले में तथ्य साक्ष्य के साथ देखिए।
वहीं ग्रामीण राजनीति में विष्णु धाम मंदिर का विवाद गहरा गया है। गांव के पूर्व मुखिया पंकज सिंह के खेमे से जुड़े जनार्दन सिंह सहित कुछ लोगों ने धार्मिक न्यास बोर्ड से शिकायत की कि मंदिर के अध्यक्ष के द्वारा कोई हिसाब किताब नहीं दिया जाता है। ये लोग दबंग हैं। 19 लाख रुपये की अवैध निकासी कर ली गई। यह शिकायत दूसरी बार की गई। हलांकि 22 नवंबर को मंदिर के अध्यक्ष द्वारा बोर्ड को लिखित में जबाब दिया गया। इसमें प्रत्येक साल हिसाब किताब बोर्ड में देने की बात कही गई।
इसी तरह के पहले शिकायत के बाद पुन: डा कृष्ण मुरारी प्रसाद सहित नए मंदिर न्यास समिति का गठन कर दिया गया। यह गठन अक्टूबर 2023 को बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष अखिलेश जैन ने किया। उनके द्वारा जारी पत्र ज्ञापांक संख्या 2494 के अनुसार कृष्णा मुरारी प्रसाद पुन: अध्यक्ष बने। इस समिति पूर्व मुखिया पंकज सिंह का नाम नहीं रहने से वे भड़क गए। बोर्ड के पत्र में कहा गया है कि गांव वालों से अनियमित की शिकायत मिली थी परंतु कोई साक्ष्य उनके द्वारा नहीं दिया गया। 2022 तक एक करोड़ 81 लाख रुपये से मंदिर निर्माण का काम किया गया है। जिसका लेखा-जोखा बोर्ड को अंकेक्षण के बाद प्रस्तुत किया गया। साथ अंचलाधिकारी के द्वारा इसका उपयोगिता प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया गया।
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बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड का पत्र
पंचायत सरकार भवन और मछली पालन बना विवाद का जड़
मेला स्थल के पूरब पंचायत सरकार भवन बनाने का प्रस्ताव वर्तमान मुखिया और गांव के दूसरे खेमे से आया। इस गैर मजरूआ जमीन पर स्थानीय दबंगों का कब्जा होने से वह नहीं चाहते थे कि यहां पंचायत सरकार भवन बने। इसके लिए मंदिर समिति के अध्यक्ष पर विरोध करने का दबाव दिया गया। डा कृष्ण मुरारी कहते हैं कि वे दबाव में नहीं आए। उन्होंने एक अनुबंध पत्र दिखाते हुए बताया कि 2017 में सरकारी तालाब के कमिटी के अध्यक्ष बनकर जनार्दन सिंह ने इस सरकारी तालाब में मत्स्य पालन का अनुबंध कुल्हाड़ाबीघा के व्यापारी वीरेंद्र कुमार से 21 लाख में कर दिया। जिसमें 10 लाख रुपये अग्रिम भी लिए गए। इससे मंदिर समिति को कुछ भी लेना-देना नहीं रहा। यह राशि उनको नहीं मिली।
उन्होंने मत्स्य पालन को जीव हत्या मानते हुए इस पर रोक लगा दी। जिससे भी यह खेमा और भड़क गया। सूत्रों की जानकारी में यह भी बताया गया कि गांव में 33 लोगों पर कई साल पहले अंचल अधिकारी के द्वारा गैर मजरूआ जमीन पर घर बनाने का नोटिस भी दिया गया था। इसमें जय नंदन सिंह, जनार्दन सिंह इत्यादि का भी नाम शामिल है। यह भी अब विवाद का कारण बना है।
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