
आख़िर क्यों जारी हुआ एक डीएसपी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट?

आख़िर क्यों जारी हुआ एक डीएसपी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट?
शेखपुरा।
सोचिए, जब कानून के रखवाले ही अदालत की बातों को नजरअंदाज़ करने लगें, तो न्याय को कितना इंतज़ार करना पड़ता है?
2020 की एक हत्या का मामला… शेखोपुरसराय थाना क्षेत्र के कबीरपुर गांव का एक युवक हेमंत उर्फ विकास कुमार मौत के घाट उतार दिया गया। परिवार आज भी इंसाफ़ की आस में है। इस केस की तहकीकात की थी एक अधिकारी ने—डीएसपी कल्याण आनंद। उन्होंने एफआईआर दर्ज की, जांच की कमान संभाली, साक्ष्य जुटाए, केस की नींव तैयार की। लेकिन जब बारी आई अदालत में आकर गवाही देने की, तो साहब लगातार गैरहाज़िर रहे।
चार साल बीत गए। कई बार सम्मन भेजे गए, लेकिन न कोई जवाब, न पेशी। न्याय की प्रक्रिया बाधित होती रही।
अब न्यायपालिका ने सख्त रुख अपनाया है। प्रधान जिला न्यायाधीश पवन कुमार पांडे ने नवादा के पुलिस अधीक्षक को स्पष्ट आदेश दिया है कि डीएसपी कल्याण आनंद को गिरफ्तार कर अदालत में प्रस्तुत किया जाए।

इस संबंध में जानकारी देते हुए जिला लोक अभियोजक उदय नारायण सिंहा और अपर लोक अभियोजक शंभू शरण प्रसाद सिंह ने बताया कि यह मामला लंबे समय से सिर्फ कल्याण आनंद की गवाही के अभाव में लटका हुआ है, जबकि अन्य सभी सरकारी गवाह न्यायालय में बयान दे चुके हैं।
अब सवाल उठता है: आख़िर डीएसपी गवाही से क्यों बच रहे हैं? क्या कोई दबाव है, या केवल लापरवाही?
इस गिरफ्तारी वारंट ने पूरे महकमे में हलचल मचा दी है। अब देखना यह है कि क्या अदालत में उनकी गवाही से कबीरपुर गांव के उस परिवार को इंसाफ़ मिलेगा...




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