
मंत्री नीरज कुमार का छलका दर्द, कार्यकर्ता से मंत्री तक का सफर..

(नीरज कुमार के फेसबुक से साभार)
काल चक्र जैसा ही होता है राजनीति चक्र
मैं एक ऐसे भाग्यशाली कार्यकर्ता के रूप में अपने आप को पाता हूँ, कि राजनीति के एक हद तक कहा जाए तो शैशव काल था जब हमारे तत्कालीन सांसद सम्प्रति बिहार के माननीय मुख्यमंत्री के रूप में नीतीश कुमार जी का सानिध्य प्राप्त हुआ।
परिस्थितियाँ अनुकूल व प्रतिकूल दोनों रहा, झंझावात भी आते रहे , इसके वावजूद राजनैतिक दिशा परिवर्तित नही की।
सामान्य परिवार में अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों को पूरा करने की एक तरफ चुनौती , दूसरी ओर राजनैतिक चुनौतियाँ , संतुलन बनाना कठिनतम चुनौती थी।
माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी ने पटना स्नातक विधान परिषद का चुनाव लड़ने का मौका दिया। मतदाताओं के आशीर्वाद से सदन में पहुंचा, अपनी बौद्धिक क्षमता के अनुकूल सदन में अपनी भूमिका निर्वहण करने का निरंतर प्रयास किया ।
माननीय मुख्यमंत्री जी ने विधान परिषद में सचेतक, उप मुख्य सचेतक पद का भी दायित्व दिया, जिसे क्षमता अनुरूप पूरा करने का प्रयास किया।
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष माननीय वशिष्ठ नारायण सिंह, राष्ट्रीय महासचिव श्री आर. सी. पी. सिंह, बिहार सरकार में ऊर्जा मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व वर्तमान मुंगेर सांसद माननीय राजीव रंजन सिंह उर्फ़ ललन बाबू ने जो भी सांगठनिक दायित्व भी दिया, उसमें अपनी क्षमता का इस्तेमाल किया ।
2015 के विधानसभा चुनाव में तत्कालीन परिस्थितियों के कारण चुनाव हार गया, परन्तु उस चुनाव परिणाम ने राजनीति के आपराधिकरण के विरुद्ध खड़ा होने का सम्बल प्रदान किया।
माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी ने मुझे राज्य मंत्रीपरिषद का सदस्य नामित किया।
महत्वपूर्ण बात यह है कि सामान्य पृष्ठ्भूमि के राजनैतिक कार्यकर्त्ता को जिम्मेवारी दिए जाने से यह स्वतः प्रमाणित होता है कि, मजबूत पारिवारिक आर्थिक पृष्ठ्भूमि व राजनीतिक विरासत के बिना भी व्यक्ति सफलता की नींव रखी जा सकती है।

शपथ ग्रहण समारोह के बाद कार्यकर्ताओं की खुशी, शुभचिंतकों का मुस्कान, बड़ों का आशीर्वचन व समाज के विभिन्न तबके के लोगों का प्यार शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।
यह ठीक है कि यह क्षण हमारे जीवन के आंतरिक सुख के लिए सुखद है लेकिन उससे भी बड़ी जिम्मेवारी कार्यकर्त्ताओं के स्नेह को बरकरार रखना, आमजनों के विश्वास को मजबूत करना है।
हम भरोसा करते हैं जैसे जीवन का कालचक्र सुख और दुःख का होता है, वैसा ही राजनीति के कालचक्र में सुख-दुःख दोनों होता है, लेकिन विनम्रता का एहसास, सद्भाव की कामना, अपने ईमान व साख को बचाना सबसे बड़ी चुनौती होती है।
ईश्वर से यही प्रार्थना है, हे भगवान, इतनी शक्ति और सामर्थ्य दो कि भौतिक युग के इस चकाचौंध में स्वयं का नैतिक बल से बचा सकूँ एवं समाज के राजनैतिक कार्यकर्त्ताओं की अपेक्षा पर खड़ा उतरूँ व अपनी जन्मभूमि की मर्यादा की रक्षा कर सकूँ।
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