• Sunday, 19 May 2024
बिहार केसरी की धर्मपत्नी  की अन्तिम शव  यात्रा  और आजादी  के मतवाले  का  मार्मिक  प्रसंग

बिहार केसरी की धर्मपत्नी की अन्तिम शव यात्रा और आजादी के मतवाले का मार्मिक प्रसंग

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बिहार केसरी की धर्मपत्नी  की अन्तिम शव  यात्रा  और आजादी  के मतवाले  का  मार्मिक  प्रसंग

अभय शंकर सिंह अन्नु/प्रसंगवश

 बिहार केसरी जेल से पैरोल पर बीमार पत्नी की देखभाल के लिये पटना मेडिकल कालेज के पेइंग वार्ड मे आये । तीसरे दिन पत्नी की हालत बहुत नाजुक थी । इसी समय पटना कलेक्टर ,पटना के अंग्रेज कमिश्नर की ओर से एक शर्तनामा पर दश्तखत कराने आ गया ।शर्तनामा मे लिखा था कि बिहार केसरी अपनी बीमार पत्नी की देखभाल के लिये अस्पताल में रह सकते है , परन्तु
 

1. किसी राजनैतिक गतिविधी मे भाग नही ले सकेगे ।

 
2. कोई राजनैतिक बयानबाजी , सभा  या सत्याग्रह में भाग नही लेगे। पत्र पढते ही उन्होने जिलाधीश से कहा , तुम्हारे कमिश्नर की यह हिम्मत कैसे हुई । यह शर्त मैं नामंजूर करता हू । तुम अपनी पुलिस बुलाओ , मुझे गिरफ्तार करो , शर्त के साथ मुझे पैरोल नही चाहिये ।
  
उन्होंने गंगाजल मंगाया ,पत्नी को पिलाया और कहा '' आजादी के महायुद्ध मे आपने मेरी जिन्दगी की हर परीक्षा में मेरा साथ दिया है ,यह हमारे स्वाभिमान की एक विकट परीक्षा के लिये पटना कमिश्नर ने ललकारा है , इस विकट परीक्षा में जबकि आप मृत्यु सज्यापर है ,मुझे आपका साथ चाहिये , और उनकी बिरागंना धर्मपत्नी ने इशारे से कहा इस छणभंगुर शरीर के लिये आप अपने स्वाभिमान से समझौता नहीं करे। आप अवश्य इसी क्षण जेल वापस जायं। पुलिस की गाडी आ चुकी थी । बिहारकेसरी की पुस्तके और कपडे बंधकर तैयार थे ।बिहार केसरी गाडी मे बैठे , गाडी पेइगं वार्ड से बाहर जेल के लिये निकली और इधर पत्नी का प्राण छूट गया । रोने की परिजनो की आवाज बिहारकेसरी के कानों तक पहुची परन्तु आजादी के अग्रदूत ने मुड़ कर भी नहीं देखा। थोडी ही देर में वह बांकीपुर जेल मे थे।
 
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 और पटना मे उनकी जीवन संगिनी की चिता को उनके ज्येष्ठ पुत्र  शिव शंकर सिह (मेरे दादाजी जी) अपने अनुज बन्दी शंकर सिहं (मेरे छोटे दादा जी) के साथ मुखाग्नी दान कर रहे थे ।  बिहारकेसरी बलिदान की इस कठिन परीक्षा मे भी अब्बल रहे । यही और ऐसे अनेक बलिदानो से उनका निर्मान हुआ था, और इसी लिये वह अपराजेय थे । आज भी उनका कोई शानी नही है ।  महामानव को मेरी हृदयतल से श्रद्धान्जली ।
 
लेखक श्री बाबू के प्रपौत्र है। आलेख उनके फेसबुक से साभार
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