• Saturday, 23 November 2024
यहां दुर्गा रूप में भारत माता की जगह जगह होती है पूजा, स्वतंत्रता संग्राम से है परंपरा

यहां दुर्गा रूप में भारत माता की जगह जगह होती है पूजा, स्वतंत्रता संग्राम से है परंपरा

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यहां दुर्गा रूप में भारत माता की जगह जगह होती है पूजा, स्वतंत्रता संग्राम से है परंपरा

 

शेखपुरा:

 

राष्ट्रभक्ति की भावना से ओतप्रोत होकर ऐसी आस्था लोगों में जगे की देशभक्ति की इस आस्था में भारत माता की पूजा दुर्गा रूप में होने लगे तो इस आश्चर्यजनक नहीं मानना चाहिए ।

बरबीघा के सामाचक के स्थापित भारत माता 

ऐसा होता हुआ आप बिहार के शेखपुरा जिले में देख सकते हैं । शेखपुरा जिले के जिला मुख्यालय के साथ-साथ बरबीघा प्रखंड मुख्यालय नगर क्षेत्र में यह भारी संख्या में देखा जाता है । 

शेखपुरा के गोलपर स्थापित भारत माता

यहां स्वतंत्रता संग्राम से पहले से भारत माता की पूजा शुरू हुई और यह परंपरा आज भी बनी हुई है। भारत माता की पूजा देवी दुर्गा मान कर किया जाता है। देवी दुर्गा माता की पूजा के सारे नियम इसमें पालन किए जाते हैं।

शेखपुरा नगर के गोलापर जय जवान जय किसान भारत माता समिति के द्वारा द्वारा 1962 से प्रतिमा की स्थापना की जा रही है । इसके वरिष्ठ सदस्य गोपाल प्रसाद कहते हैं की आजादी के बाद देश भक्ति की भावना लोगों में अधिक थी। ऐसे में भारत माता की प्रतिमा स्थापित कर दुर्गा के रूप में पूजा करने की परंपरा बन गई। भारत चीन युद्ध के समय में यह भावना लोगों में और बढ़ा।

 

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बरबीघा के सामाचक में  1980 से भारत आजाद क्लब कमेटी के द्वारा प्रतिमा की स्थापना कर दुर्गा रूप में पूजा की जा रही है । कमेटी के सक्रिय सदस्य अजय मालाकार कहते हैं की बचपन में कई जगहों पर भारत माता की पूजा देखकर वे प्रेरित हुए और तब से लेकर अब तक यह परंपरा चल रही है।

 

समाजवादी नेता शिवकुमार कहते हैं कि बरबीघा में बड़ी संख्या में भारत माता की पूजा दुर्गा रूप में करने की परंपरा आजादी के तत्काल बाद चरम पर पहुंचा। वह कहते हैं कि उस समय में यहां हिंदू महासभा की काफी पकड़ थी। हिंदू महासभा के अध्यक्ष बाजार के बड़े व्यवसाय चौबे राम थे । उनकी प्रेरणा से धीरे-धीरे यह बढ़ा और लोग भारत माता को दुर्गा रूप में पूजने लगे।

 

पुराने समय से बरबीघा के झंडा चौक पर भारत माता की प्रतिमा स्थापित की जाती थी। वहीं बरबीघा में छोटी संगत, जोशीला क्लब, सिद्धांत क्लब इत्यादि भारत माता के बड़े क्लब थे। इनमें से कुछ आज भी सक्रिय रूप से भारत माता की स्थापना कर रहे हैं।

 

 

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