
डॉ. श्रीकृष्ण सिंह की 138वीं जयंती पर बरबीघा में हुआ भव्य आयोजन

डॉ. श्रीकृष्ण सिंह की 138वीं जयंती पर बरबीघा में हुआ भव्य आयोजन
शेखपुरा।
बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री और बिहार केसरी के नाम से प्रसिद्ध डॉ. श्रीकृष्ण सिंह की 138वीं जयंती मंगलवार को उनके जन्मस्थली बरबीघा में बड़े ही हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाई गई।
इस अवसर पर माउर गांव और श्रीकृष्ण चौक स्थित उनकी प्रतिमा पर बड़ी संख्या में लोगों ने माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। पूरे क्षेत्र में श्री बाबू के जयघोष गूंजते रहे।

बरबीघा स्थित श्रीकृष्ण राम रुचि कॉलेज में भी इस अवसर पर हवन-पूजन और संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें वक्ताओं ने बिहार केसरी के योगदान और आदर्शों को याद किया। कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. शिवभगवान गुप्ता ने कहा कि डॉ. श्रीकृष्ण सिंह चरित्र, सिद्धांत और आदर्श के प्रतीक थे। उन्होंने बताया कि वर्ष 1955 में जब कॉलेज का शुभारंभ हुआ था, तब बिहार सरकार के 11 मंत्रियों में से 9 मंत्री उपस्थित थे, लेकिन श्री बाबू शामिल नहीं हुए क्योंकि वे अपने और अपनी पत्नी के नाम पर कॉलेज का नाम रखे जाने से असहमत थे। यह उनकी सादगी और सिद्धांतप्रियता का परिचायक है।

डिवाइन लाइट स्कूल के प्राचार्य सुधांशु शेखर ने कहा कि बिहार केसरी के लिए भारत रत्न की मांग राजनीतिक दृष्टिकोण से की जाती है। बिहार केसरी उससे उंचे कद के थे। मांग कर मिले सम्मान का महत्व नहीं है।
संगोष्ठी में पूर्व प्राचार्य डॉ. रामविलास सिंह, डॉ. मुनेश्वर प्रसाद सिंह, प्रो. सुधीर मोहन शर्मा, जयशंकर कुमार, अधिवक्ता अंजनी कुमार, शिक्षक संघ के अध्यक्ष रवि कुमार और अमरनाथ सिंह ने भी अपने विचार रखे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य डॉ. संजय कुमार ने की। अतिथियों का स्वागत कॉलेज परिवार की ओर से किया गया। मंच संचालन संतोष कुमार ने किया और अंत में धन्यवाद ज्ञापन प्रो. नवल किशोर ने दिया।




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