छठ महापर्व : आस्था, अनुशासन और लोकसंस्कृति का पर्व, बिहार से दुनिया तक फैली परंपरा
छठ महापर्व : आस्था, अनुशासन और लोकसंस्कृति का पर्व, बिहार से दुनिया तक फैली परंपरा
पटना/संवाद सहयोगी
बिहार में छठ महापर्व की छठा इस वर्ष भी पूरे भक्तिभाव और आस्था के साथ देखने को मिली। चारों ओर श्रद्धा, भक्ति और अनुशासन का अद्भुत संगम रहा। डूबते सूर्य को अर्घ्य से प्रारंभ और उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ समाप्त होने वाले इस चार दिवसीय पर्व ने पूरे बिहार को आध्यात्मिक रंग में रंग दिया। घाटों पर गूंजते ‘उग हे सुरुज देव’ और ‘कांच ही बांस के बहंगिया’ जैसे लोकगीतों ने वातावरण को भक्ति रस से सराबोर कर दिया।
छठ का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
छठ पर्व सूर्य देव और उनकी बहन छठी माई की उपासना का पर्व है। माना जाता है कि सूर्य की उपासना से तन-मन की शुद्धि होती है और घर में सुख-समृद्धि आती है। यह पर्व न केवल आस्था से जुड़ा है बल्कि अनुशासन, संयम और स्वच्छता का प्रतीक भी है। छठ व्रती कई दिनों तक बिना नमक और प्याज-लहसुन का भोजन करते हैं और पूर्ण शुद्धता बनाए रखते हैं।
चार दिनों का पवित्र विधान
छठ महापर्व की शुरुआत ‘नहाय-खाय’ से होती है, जिसमें व्रती शुद्ध भोजन बनाकर ग्रहण करते हैं। दूसरे दिन ‘खरना’ होता है, जिसमें गुड़-चावल की खीर और रोटी का प्रसाद बनाकर पूजा के बाद उपवास तोड़ा जाता है। इसके बाद व्रती लगातार 36 घंटे निर्जला उपवास रखते हैं। तीसरे दिन डूबते सूर्य को और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाता है। इस दौरान पूरे घर और घाट पर स्वच्छता, शुद्धता और सादगी का विशेष ध्यान रखा जाता है।
प्रशासनिक तैयारी और जनसहभागिता
भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने घाटों पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की थी। पुलिस और अर्धसैनिक बल तैनात रहे। वहीं, इस बार छठ घाटों पर मतदाता जागरूकता अभियान भी चलाया गया। अधिकारी लोगों से मतदान के प्रति सजग रहने की अपील करते नजर आए।
बिहार से दुनिया तक छठ की गूंज
आज छठ पर्व केवल बिहार तक सीमित नहीं रहा। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, लंदन, न्यूयॉर्क, दुबई और मॉरीशस जैसे देशों में बसे प्रवासी बिहारी भी पूरे रीति-रिवाज से यह पर्व मनाते हैं। गंगा की जगह जहां हैं, वहां स्थानीय नदियों, तालाबों या कृत्रिम जलाशयों में लोग सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। इससे यह पर्व वैश्विक पहचान बना चुका है।
आस्था का संगम
पटना के गंगा घाट से लेकर औरंगाबाद के देव सूर्य मंदिर, नालंदा के बरगांव सूर्य मंदिर और शेखपुरा के मालती पोखर तेतारपुर सूर्य मंदिर तक श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। महिलाओं ने भगवान भास्कर से परिवार की सुख-शांति और समृद्धि की कामना की।
छठ केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि बिहार की सांस्कृतिक पहचान और लोक आस्था का उत्सव बन चुका है, जिसने सीमाओं को पार कर विश्व स्तर पर बिहार की संस्कृति को गौरवान्वित किया है।
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