• Friday, 03 January 2025
महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल के निधन से शोक की लहर

महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल के निधन से शोक की लहर

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महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल के निधन से शोक की लहर

 

पटना

आज, 29 दिसंबर 2024 को, बिहार के प्रतिष्ठित पूर्व आईपीएस अधिकारी और महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल का 74 वर्ष की आयु में पटना में निधन हो गया। सुबह उन्हें कार्डियक अरेस्ट हुआ, जिसके बाद उन्हें महावीर वात्सल्य अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। 

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा: आचार्य किशोर कुणाल का जन्म 10 अगस्त 1950 को मुजफ्फरपुर जिले के बरुराज गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही स्कूल से प्राप्त की और बाद में पटना विश्वविद्यालय से इतिहास और संस्कृत में स्नातक की डिग्री हासिल की। 

पुलिस सेवा: 1972 में, वे गुजरात कैडर में भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) में शामिल हुए। उनकी पहली नियुक्ति आनंद में पुलिस अधीक्षक के रूप में हुई, और 1978 तक वे अहमदाबाद के पुलिस उपायुक्त बन गए। बाद में, उन्होंने पटना में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के रूप में भी सेवा दी। 

 

धार्मिक और सामाजिक योगदान:

सेवानिवृत्ति के बाद, आचार्य किशोर कुणाल ने अपना जीवन धार्मिक और सामाजिक कार्यों को समर्पित कर दिया। वे बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष बने और पटना के महावीर मंदिर न्यास के सचिव के रूप में कार्य किया। उनके नेतृत्व में महावीर मंदिर ने महावीर कैंसर संस्थान, महावीर आरोग्य संस्थान और महावीर नेत्रालय जैसे संस्थानों की स्थापना की, जो समाज के लिए महत्वपूर्ण सेवाएं प्रदान करते हैं। 

अन्य योगदान: आचार्य किशोर कुणाल पटना के ज्ञान निकेतन स्कूल के संस्थापक भी थे, जो शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इसके अलावा, वे अयोध्या राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य थे और राम जन्मभूमि से जुड़े मामलों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। 

शोक की लहर:

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उनके निधन से बिहार में शोक की लहर है। उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि उनका योगदान शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल और अन्य नेताओं ने भी शोक व्यक्त किया है। 

 

आचार्य किशोर कुणाल का जीवन समाज के प्रति समर्पण और सेवा का प्रतीक था। उनकी अनुपस्थिति से उत्पन्न शून्य को भरना कठिन होगा, लेकिन उनके द्वारा किए गए कार्य सदैव प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे।

 

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