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                ‘द कश्मीर फाइल्स’ : एक पूरी कौम पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है, बिहार के मंत्री की मन की बात
- न्यूज डेस्क, पटना
कश्मीर से पंडितों के पलायन पर बनी फिल्म द कश्मीरी फाइल्स अभी चर्चा में है वहीं बिहार के भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी न्यू फिल्म देखने के बाद अपने मन की बात कही तो इस पर टिप्पणियों की बौछार लग गई क्या कहा उन्होंने जानिए
अपनी बात
 स्थानीय प्राधिकार के बिहार विधान परिषद् सदस्य पद के लिए नवादा से राजग प्रत्याशी श्री सलमान रागीव जी के नामांकन कार्यक्रम में शामिल होकर कल देर शाम नवादा से पटना लौटा। पिछले कई दिनों से ‘द कश्मीर फाइल्स’ की बड़ी चर्चा सुन रहा था, समय की कमी के बावजूद फिल्म पर लगातार चल रही चर्चाओं से मन में जो कौतूहल बना हुआ था उसी क्रम में पत्नी के साथ समय निकालकर ‘द कश्मीर फाइल्स’ देखने चला गया।
जब विवेक अग्निहोत्री जी की फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ देखी तो ऐसा लगा कि उन्होंने क्रूर और जिहादी मानसिकता वाले लोगों के दरिंदगी से भरे चेहरे और कश्मीरी पंडितों के जरूरी मानवीय मुद्दे को स्क्रीन पर अच्छे से उकेरा है लेकिन इस प्रयास में उन्होंने एक पूरी कौम पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। फिल्म में कई ऐसे दृश्य दिखाए गए हैं जहाँ मुझे लगता है कि सेंसर बोर्ड को ऐसे हृदयविदारक दृश्यों को सेंसर करने की आवश्यकता थी।
                    उदाहरण के लिए एक दृश्य देखा जिसमें 25 लोगों को गोली मारी जाती है और एक-एक का दृश्य हमें स्क्रीन पर दिखाया जाता है। मैं मानता हूँ कि ये नृशंस कृत्य थे लेकिन इस प्रकार से इनका फिल्मांकन दर्शकों को गलत रूप से व्यथित कर सकता है ।
                                                        
                                
                                     
                                
                                
                                                बिहार में एक दौर था जब यहाँ के लोगों ने 100 से अधिक नरसंहार देखे लेकिन पिछले 17 वर्षों के दौरान हमने इसे भूल कर नए बिहार के लिए आपसी सद्भावना बनाई है जो हमारे यशश्वी नेता श्री नीतीश कुमार जी के नेतृत्व वाली सरकार के, जनमानस के लिए एवं बिहार के विकास के लिए किये गए प्रयासों से संभव हुआ है ।
सिनेमा एक ऐसा माध्यम है जो लोगों को सर्वाधिक प्रभावित करता है। कहा जाता है कि ‘One minute of video is worth million words’ (एक मिनट का वीडियो मिलियन शब्दों के बराबर है)। इसीलिए मेरा मानना है कि जब हमारे पास जन मानस को वृहद् रूप से प्रभावित करने वाला माध्यम हो तो उसका प्रयोग हमें ज़िम्मेदारी से समाज के लोगों के मनोभाव पर विपरीत प्रभाव दिए बिना करना चाहिए। रक्त रंजित दृश्यों से परे सरकार के स्तर पर आज के कश्मीर के लिए किये जाने वाले प्रयासों को दिखाना भी मेरी समझ से उचित होता।
- आलेख भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी के फेसबुक से साभार
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