• Friday, 03 May 2024
पुलिस का मानवीय चेहरा: 8 साल पहले गुम हुए पिता को पुत्र से मिलाया

पुलिस का मानवीय चेहरा: 8 साल पहले गुम हुए पिता को पुत्र से मिलाया

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पुलिस का मानवीय चेहरा: 8 साल पहले गुम हुए पिता को पुत्र से मिलाया

शिमला/शेखपुरा

वैसे तो पुलिस की छवि नकारात्मक कारगुजारीओं की वजह से आम लोगों में नकारात्मक ही रही है परंतु पुलिस के द्वारा सकारात्मक काम भी किए जाते हैं और मानवीय पहलू का भी ध्यान रखा जाता है। पुलिस के द्वारा इसी तरह की एक मानवतावादी कार्य को अंजाम दिया गया। जिसमें 8 साल पहले गायब हुए एक पिता को उसके पुत्र से मिलाने में पुलिस ने सहायता की और उसको खोज निकाला। इसमें उस पिता के मिलने पर पुत्र और गांव में खुशी की लहर भी देखी जा रही है।

क्या है यह पूरा मामला, कैसे हुआ मुलाकात

दरअसल यह पूरा मामला हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के ठियोग गांव का है। यहां एक मानसिक रूप से विक्षिप्त व्यक्ति को इधर-उधर भटकता हुआ देखा गया। इसकी सूचना पुलिस को मिली तो पुलिस ने उस व्यक्ति से पूछताछ की। पूछताछ के क्रम में उस मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति के द्वारा थोड़ी बहुत जानकारी पुलिस को दी गई जिसमें पुलिस ने छानबीन शुरू कर दी और उस व्यक्ति का पता खोज कर निकाल लिया गया।

कोरमा का रहने वाला निकला मानसिक रूप से विक्षिप्त व्यक्ति

दरअसल शिमला पुलिस ने शेखपुरा जिले के कोरमा पुलिस से संपर्क किया । कोरमा का नाम आते ही इंटरनेट के माध्यम से शिमला पुलिस के द्वारा कोरमा थाना का नंबर ऊपर किया गया। फिर उस नंबर पर कोरमा के थाना अध्यक्ष विकास कुमार से बातचीत की गई। विकास कुमार को उनके व्हाट्सएप पर मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति की तस्वीर भेजी गई और उसे पहचान कराने के लिए कहा गया। विकास कुमार के द्वारा भी इसमें पहल किया गया और कई लोगों से उनकी पहचान करवाई गई। जिसके बाद पहचान करने में व्यक्ति की पहचान गगौर निवासी चतुरानंद के रूप में की गई । उनके बेटे सूरज को बुलाकर भी पिता की पहचान कराई गई। जिससे उसमें काफी खुशी देखी गई। बताया गया कि 8 साल पर पिता के मिलने की उम्मीद सभी ने छोड़ दी थी परंतु पुलिस और इंटरनेट सोशल मीडिया की मदद से पिता की तस्वीर देख सभी खुश हो गए।

थाना अध्यक्ष ने मानवीय पहल की

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इस मामले में शिमला के पुलिस पदाधिकारी की मानवता भरी पहल सामने आई । वही कोरमा थाना के थाना अध्यक्ष विकास कुमार ने भी मानवीय पहल की। विकास कुमार के पास जब फोटो आया तो उनके द्वारा खोजबीन शुरू कर दी गई। लापरवाही नहीं बरती गई और फिर 8 साल पहले बिछड़ गए पिता को पुत्र से मिला दिया। हालांकि अभी शिमला से पिता को लाना संभव नहीं हो सका है। उन्हें वृद्ध आश्रम में रखा गया है। लॉकडाउन खत्म होते ही शिमला पुलिस उनको यहां भेज देगी। इसकी जानकारी देते हुए विकास कुमार ने कहा कि पुलिस के द्वारा अक्सर इस तरह के मानवतावादी कदम उठाए जाते हैं और हम लोग जन सेवा में ही लगे रहते हैं।

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