• Thursday, 16 October 2025
भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर विशेष: गरीब के बेटे के जननायक बनने की कहानी

भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर विशेष: गरीब के बेटे के जननायक बनने की कहानी

Vikas

भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर विशेष: गरीब के बेटे के जननायक बनने की कहानी

 

न्यूज़ डेस्क

 

जननायक कर्पूरी ठाकुर (24 जनवरी 1924 – 17 फरवरी 1988) भारतीय राजनीति और सामाजिक न्याय के ऐसे अप्रतिम नेता थे, जिन्होंने अपने जीवन को समाज के वंचित वर्गों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया। गरीब नाई परिवार में जन्मे कर्पूरी ठाकुर न केवल बिहार के दो बार मुख्यमंत्री बने, बल्कि वे सामाजिक न्याय के अग्रदूत के रूप में पूरे देश में विख्यात हुए। उनकी जन्मशती के अवसर पर 2024 में उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया, जो उनकी विरासत को राष्ट्रीय मान्यता देता है।

 

प्रारंभिक जीवन और स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका

 

24 जनवरी 1924 को बिहार के समस्तीपुर जिले के पितौंझिया (अब कर्पूरी ग्राम) में जन्मे कर्पूरी ठाकुर का जीवन गरीबी और संघर्षों से भरा हुआ था। गांव की प्रारंभिक शिक्षा के बाद उन्होंने पटना के विद्यापीठ से अध्ययन किया।

कर्पूरी ठाकुर ने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भाग लिया और इस दौरान जेल भी गए। महात्मा गांधी, जयप्रकाश नारायण (जेपी) और डॉ. राममनोहर लोहिया के विचारों से प्रेरित होकर उन्होंने सामाजिक न्याय और समानता के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।

 

राजनीतिक जीवन का सफर

 

स्वतंत्रता के बाद कर्पूरी ठाकुर समाजवादी आंदोलन में सक्रिय हो गए।

 

1952 में वे पहली बार बिहार विधानसभा के सदस्य बने।

 

1967 में उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री बने।

 

1970 और 1977 में दो बार बिहार के मुख्यमंत्री बने।

 

 

उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए कई ऐतिहासिक फैसले लिए, जिनका मकसद समाज के हाशिए पर खड़े लोगों को मुख्यधारा में लाना था।

 

मुख्यमंत्री के रूप में ऐतिहासिक फैसले

 

1. आरक्षण नीति: बिहार में पिछड़े वर्गों के लिए 26% आरक्षण लागू किया, जिससे वे सामाजिक न्याय के प्रतीक बन गए।

 

 

2. शिक्षा सुधार: गरीब और वंचित वर्गों के लिए मुफ्त शिक्षा और पाठ्यपुस्तकों की व्यवस्था की।

 

 

DSKSITI - Large

3. श्रमिक अधिकार: मजदूरों और श्रमिक वर्ग के उत्थान के लिए कल्याणकारी योजनाएं शुरू कीं।

 

 

 

उनकी नीतियों ने उन्हें गरीबों और पिछड़ों के लिए "जननायक" का दर्जा दिलाया।

 

जेपी और डॉ. लोहिया का प्रभाव

 

कर्पूरी ठाकुर पर डॉ. राममनोहर लोहिया और जयप्रकाश नारायण (जेपी) का गहरा प्रभाव था।

 

डॉ. लोहिया ने उन्हें समाजवादी विचारधारा अपनाने और वंचित वर्गों के लिए संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया।

 

जेपी के नेतृत्व में चलाए गए संपूर्ण क्रांति आंदोलन (1974) में कर्पूरी ठाकुर ने सक्रिय भूमिका निभाई। जेपी की सादगी और ईमानदारी ने कर्पूरी ठाकुर को एक सच्चा जननेता बनने की प्रेरणा दी।

 

 

सादगी और ईमानदारी के प्रतीक

 

कर्पूरी ठाकुर ने हमेशा एक सादगीपूर्ण जीवन जिया। मुख्यमंत्री रहने के बावजूद उन्होंने कभी अपने पद का दुरुपयोग नहीं किया। उन्होंने वंचित वर्गों के सशक्तिकरण को अपने जीवन का उद्देश्य बनाया।

 

भारत रत्न का सम्मान

 

2024 में, उनकी जन्मशती के अवसर पर, कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति भवन में आयोजित इस समारोह में उनके पुत्र रामनाथ ठाकुर ने यह सम्मान प्राप्त किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "कर्पूरी ठाकुर जी का जीवन सादगी, ईमानदारी और जनसेवा का प्रतीक था। यह सम्मान सामाजिक न्याय की लड़ाई को नई प्रेरणा देता है।"

 

निधन और विरासत

 

17 फरवरी 1988 को कर्पूरी ठाकुर का निधन हो गया। आज भी उन्हें सामाजिक न्याय और समानता के लिए संघर्ष करने वाले महान नेता के रूप में याद किया जाता है।

new

SRL

adarsh school

Mukesh ji

Share News with your Friends

Comment / Reply From

You May Also Like