
शेखपुरा : माइक्रोफाइनेंस कंपनी के घोटाले की जांच करने पहुंचे पदाधिकारी पर बेरहमी से हमला

शेखपुरा : माइक्रोफाइनेंस कंपनी के घोटाले की जांच करने पहुंचे पदाधिकारी पर बेरहमी से हमला
शेखपुरा
माइक्रोफाइनेंस कंपनियों में लगातार हो रही पैसों की हेराफेरी और घोटाले अब गंभीर रूप धारण करने लगे हैं। शेखपुरा जिले में घटी एक घटना ने इन कंपनियों की सच्चाई और भूमिका पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। शहर के बाईपास रोड स्थित मेहुस मोड़ के पास संपदना फाइनेंस कंपनी में कंपनी के कानूनी पदाधिकारी हरिओम को तीन कर्मचारियों ने बंधक बनाकर इतनी बेरहमी से पीटा कि उनका हाल देखकर लोग सहम उठे।घटना के बाद जो तस्वीरें और वीडियो सामने आए हैं, उन्हें देखने वाला हर व्यक्ति हैरान है। पीड़ित पदाधिकारी के पूरे शरीर पर जख्म के इतने निशान थे कि देखने वाले सभी परेशान हो गए।
चोटों से उनका शरीर लहूलुहान
पीड़ित का कुर्ता फटा हुआ दिख रहा है और चोटों से उनका शरीर लहूलुहान है। कहा जा रहा है कि मारपीट इतनी अमानवीय थी कि जांच अधिकारी आज भी सदमे में हैं और डर से उनके मुंह से आवाज तक नहीं निकल रही।
8.50 लाख रुपये के घोटाले का मुकदमा
जानकारी के अनुसार, स्पंदना कंपनी प्रबंधक ने बीते 17 सितंबर को तीन कर्मचारियों रीतेश कुमार, रंजीत कुमार और शिवशंकर पर करीब 8.50 लाख रुपये के घोटाले का मुकदमा दर्ज कराया था। इसी मामले की जांच के लिए कानूनी पदाधिकारी पटना से शेखपुरा आए थे। जैसे ही वे ऑफिस में पहुंचे, तीनों आरोपियों ने उन्हें बंधक बना लिया और बेल्ट व हांकी से पीटना शुरू कर दिया। अधमरी हालत में जब आरोपी वहां से भाग निकले तो किसी तरह पदाधिकारी बाहर आए और डायल-112 पर कॉल कर पुलिस से मदद मांगी। पुलिस टीम ने मौके पर पहुंचकर उन्हें सदर अस्पताल में भर्ती कराया, जहां से हालत गंभीर रहने पर पावापुरी रेफर कर दिया गया।
माइक्रोफाइनेंस कंपनियों की आड़ में चल रहे वित्तीय घोटालों
इस घटना ने न केवल माइक्रोफाइनेंस कंपनियों की आड़ में चल रहे वित्तीय घोटालों को उजागर किया है, बल्कि यह भी साबित कर दिया है कि इनके कर्मचारी कितने खतरनाक तरीके से काम कर रहे हैं। जानकार बताते हैं कि कर्मचारियों की नियुक्ति में पुलिस के द्वारा किसी तरह का चरित्र प्रमाण पत्र नहीं लिया जाता है और असामाजिक तत्वों को भी इसमें बहाल कर लिया जाता है।
इलाकों में अक्सर यह शिकायतें मिलती रही हैं कि माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के एजेंट से अपराधी भी लूटपाट करते है। यह आसान टारगेट होते है।

कई बार शिकायतें दर्ज होने के बावजूद अब तक कोई सख्त कार्रवाई नहीं हो पाई है।
लोगों का कहना है कि यह घटना कंपनी की कार्यप्रणाली पर भी बड़ा सवाल है। बैगर पुलिस की जानकारी से कैसे जांच होते है। यदि पहले की शिकायतों पर गंभीरता से कदम उठाए जाते, तो शायद इतनी बड़ी वारदात नहीं होती। कई मामले में पुलिस को ही पता नहीं रहता की माइक्रोफाइनेंस कंपनी का कहां-कहां कार्यालय है।
वहीं, पुलिस का दावा है कि आरोपी कर्मचारी फिलहाल फरार हैं और उनकी गिरफ्तारी के लिए लगातार छापेमारी की जा रही है।
यह मामला न केवल एक वित्तीय घोटाले का है, बल्कि यह चेतावनी भी है कि माइक्रोफाइनेंस कंपनियों की लापरवाही और उदासीनता, कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए खतरा बन चुकी है।




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