शिव की शिष्यता से ही मिलता है अध्यात्म का वास्तविक ज्ञान: अभिनव आनन्द
शिव की शिष्यता से ही मिलता है अध्यात्म का वास्तविक ज्ञान: अभिनव आनन्द
शेखपुरा:
अध्यात्म का वास्तविक अर्थ है जीवात्मा का परमात्मा से जुड़ाव, और इसका मूल स्रोत शिव की शिष्यता है। शिव शिष्यता के प्रणेता स्व. हरिन्द्रानन्द जी के छोटे पुत्र अभिनव आनन्द (मोनू जी) ने यह बातें रविवार को चेबाड़ा के आजाद खेल मैदान में आयोजित एक दिवसीय शिव गुरू महोत्सव सह परिचर्चा कार्यक्रम में कही। समारोह में शिव शिष्य संगठन से जुड़े भक्तों की अपार वीर उमड़ी।
कार्यक्रम में शेखपुरा और आसपास के जिलों से बड़ी संख्या में शिव शिष्य शामिल हुए। परिचर्चा के दौरान अभिनव ने कहा कि शिव की कृपा के बिना कोई भी व्यक्ति गुरू पद को प्राप्त नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि उपासना, साधना, तपस्या और योग जैसे सभी आध्यात्मिक विधाओं के मूल में शिव ही हैं।
अभिनव ने शिव शिष्यता के तीन महत्वपूर्ण सूत्र साझा करते हुए कहा कि अपने शिव गुरू से दया की प्रार्थना करना। शिव गुरू की परिचर्चा करना। प्रतिदिन कम से कम 108 बार “नमः शिवाय” मंत्र का जाप कर शिव गुरू को प्रणाम करना मूल सूत्र है।
इस अवसर पर स्व. हरिन्द्रानन्द जी की छोटी बहू निहारिका ने भी शिव की शिष्यता अपनाने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि शिव शिष्यता अपनाने में किसी प्रकार का खर्च, शर्त, उम्र या अन्य कोई बाधा नहीं है। केवल इन तीन सूत्रों को अपनाने से ही व्यक्ति शिव की शिष्यता का अनुभव कर सकता है।
कार्यक्रम में वरिष्ठ शिव शिष्यों में बिरेन्द्र सिंह, आर.पी. सिंह, विनय कुमार पप्पू, रीता गुरू बहना, मनोरमा, गीता, और चांदनी सहित कई अन्य शिष्यों ने भी अपने विचार साझा किए।
यह महोत्सव शिव शिष्यता के महत्व को उजागर करने और अधिक से अधिक लोगों को इससे जुड़ने की प्रेरणा देने में सफल रहा।
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