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                सात समुंदर पार से आकर प्रवासी साइबेरियन पक्षी गांव को कर रहे हैं गुलजार
न्यूज डेस्क-शेखपुरा
सात समुंदर पार सोवियत संघ के साइबेरिया से साइबेरियन पक्षी एक बार फिर मौसम, वातावरण और तालाब में पानी के अनुकूल प्रभाव की वजह से गांव में पहुंचने लगे हैं। कोरोना काल में वातावरण में बदलाव आया है। कुछ साल पहले तक इनका आना बंद हो गया था।
साइबेरियन पक्षियों के गांव में आने से गांव का वातावरण गुलजार हो गया है। साइबेरियन पंछी के कलरव से सुबह, शाम गांव का वातावरण गुंजायमान रहता है। साइबेरिया से चलकर प्रत्येक साल साइबेरियन पक्षी गांव के तालाब में आते हैं। निश्चित तालाब में ही साइबेरिया के पक्षी सात समुंदर पार से आते हैं और अपने भोजन की तलाश करते हैं। शीत ऋतु में ही साइबेरिया से पक्षी बिहार के कई गांव के तालाब में पहुंचते हैं। ऐसे में शेखपुरा जिले के तालाबों में भी साइबेरिया से चलकर आए प्रवासी पंछियों को देखा जा रहा है।
शेखपुरा जिले के सामस, शेरपर इत्यादि गांव में साइबेरियन पंछी के कलरव से गांव  गुंजायमान है। साइबेरियन पक्षी में साइबेरियन डक पक्षी  बहुतायत में तालाबों में आए हैं और उनके द्वारा अपना भोजन का तलाश किया जाता है। सुबह शाम तालाब में रहने वाले इन पक्षियों को देखने के लिए भी लोग आते हैं।

शिकारियों की भी नजर
 साइबेरिया से आए हुए पंछियों पर शिकारियों की भी नजर रहती है। परंतु सरकार के द्वारा ऐसे साइबेरियन पंछी के शिकार करने को काफी खतरनाक माना गया है और कानून तोड़ने वाला माना गया है। ऐसे लोगों की शिकायत होने पर पुलिस के द्वारा कठोर कार्रवाई भी किए जाने का प्रावधान है । संरक्षण को लेकर ऐसा किया गया है। परंतु शिकारियों की नजर इन पंक्षियों पर भी पड़ी हुई है। हालांकि गांव के लोगों की माने तो अभी तक शिकारी को उन लोगों ने शिकार करने नहीं दिया है। परंतु साइबेरिया से आए इन पंक्षियों से गांव का वातावरण गुलजार हो गया।
                                                        
                                
                                     
                                
                                
                                                4000 किलोमीटर दूर से आते हैं पक्षी
साइबेरिया से 4000 किलोमीटर दूर भारत के कई गांव शहरों में यह पक्षी पहुंचते हैं। प्रवासी पक्षियों के आने का एक मार्ग होता है। जानकार बताते हैं कि उसी मार्ग से प्रत्येक साल उड़ते हुए यह पक्षी अपने अपने निश्चित जगह पर जाते हैं। बताया जाता है कि प्रवासी पक्षी के आने का सिलसिला पीढ़ी दर पीढ़ी एक ही मार्ग से जारी रहता है । बताया जाता है कि साइबेरिया में नवंबर से मार्च तक का मौसम काफी ठंडा रहता है। 50 डिग्री नीचे माइनस में तापमान चला जाता है। जिसे इन पक्षियों को परेशानी होती है। इसलिए मौसम प्रतिकूल देखते हुए ये भारत का रुख करते हैं।
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