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                शेखपुरा
शेखपुरा जिले के कई गांव में कोविड-19 के संक्रमण का व्यापक प्रसार देखा गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमित लोगों की इस कोविड-19 महामारी के दौर में जान भी चली गई है बावजूद इसके गांव के लोग बड़ा खतरा नहीं मान रहे और लापरवाही भारी पड़ सकती है। इसी लापरवाही को लेकर गांव के लोग शादी हो अथवा श्राद्ध भीड़ भी लगा रहे हैं और आम दिनों की भांति अपनी गतिविधियों को संचालित कर रहे हैं। हालांकि कोविड-19 का प्रसार के इस दूसरे दौर में गांव में ही कोविड-19 का सर्वाधिक प्रसार देखा गया है। आलम यह है कि कोविड-19 का कर्मी को गांव वाले खाली हाथ लौटा देते हैं। एक भी टीका लेने के लिए गांव के लोग आगे नहीं आते। वही गांव में जब कोविड-19 जांच करने के लिए जांच जल्द आता है तो जांच कराने में भी गांव के लोग आगे नहीं आते और खाली हाथ जांच दल को भी लौट जाना पड़ता है। हालांकि गांव वालों की अगर मानें तो कोविड-19 लक्षण गांव वालों में होते हैं परंतु जागरूकता का अभाव इसका कारण बन रहा है।

खाली हाथ लौटा टीका कर्मी और जांच दल
शेखपुरा सदर प्रखंड के सिरारी गांव में गुरुवार को जांच दल भेजा गया। जांच दल में शामिल जांच कर्मी के द्वारा कोविड-19 जांच की पहल की गई। स्वास्थ्य कर्मी और आशा कर्मी के द्वारा गांव के लोगों को कोविड-19 जांच कराने के लिए प्रेरित किया गया। परंतु एक भी व्यक्ति जांच कराने के लिए आगे नहीं आया। किसी के जांच नहीं कराने की वजह से स्वास्थ्य कर्मी खाली हाथ वापस लौट गए। इससे काफी निराशा स्वास्थ्य कर्मियों में देखी जा रही है। इसी तरह की स्थिति घाट कुसुंबा प्रखंड में भी सामने आया। यहां के गगौर गांव में टीका कर्मी का एक दल भेजा गया। टीका लगवाने के लिए गांव वालों को प्रेरित किया गया परंतु गांव की एक भी लोगों ने टीका लगवाने की पहल नहीं की और सभी लोग वापस खाली हाथ चले आए।

क्या कहते हैं चिकित्सक
 
                                
                                
                                                इसको लेकर आइसोलेशन केंद्र के प्रभारी डॉ अशोक कुमार कहते हैं कि गांव वालों की लापरवाही भारी पड़ सकती है। जान भी इसी वजह से जा रही है। कोविड-19 के लक्षण होते हुए भी वह जांच नहीं करा पाते। अस्पताल में भी भर्ती नहीं हो रहे। जिसकी वजह से जानलेवा खतरा बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 की लक्षण होने पर तत्काल जांच करानी चाहिए और आइसोलेशन केंद्र में भर्ती हो जानी चाहिए। ऑक्सीजन का स्तर गिर जाने अथवा फेफड़ा अधिक संक्रमित हो जाने की वजह से जवाब केंद्र में भर्ती होते हैं तो अंतिम समय में उनकी जान बचाना मुश्किल हो जाता है।
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