• Monday, 09 June 2025
अनसुनी कहानी: यहां 1932 में अंग्रेज के जुल्मी जमादार की पीट पीट कर आंदोलनकारियों ने कर दी थी हत्या

अनसुनी कहानी: यहां 1932 में अंग्रेज के जुल्मी जमादार की पीट पीट कर आंदोलनकारियों ने कर दी थी हत्या

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बरबीघा (शेखपुरा)

शेखपुरा जिले के बरबीघा में आजादी के आंदोलन में लोगों के योगदान और संघर्ष की गाथा आज भी जीवंत है। बताया जाता है कि बरबीघा थाना में अंग्रेज के जमादार राम बदन सिंह का जुल्म अपने चरम पर था। दुकानों को जब मर्जी लूट लेना और लोगों के साथ गाली-गलौज, मारपीट करना उसका शगल था। इसी आक्रोश में बरबीघा बाजार के लोगों ने जुलूस निकाला।

 

समूचे बाजार पे लगा पेनाल्टी

बरबीघा बाजार के रामेश्वर लाल के किराना दुकान के पास आंदोलन और जुलूस निकाल रहे लोगों पर अंग्रेज के जमादार राम बदन सिंह के द्वारा लाठीचार्ज किया गया। लाठीचार्ज से आक्रोशित लोगों के द्वारा जमादार की पिटाई कर दी गई। मौके पर ही उसकी मौत हो गई । बाद में अंग्रेज के टॉमी सिपाही आए और बरबीघा वासियों की जमकर पिटाई की । आलम यह था कि बहुत दिनों तक बरबीघा बाजार में एक भी पुरुष नजर नहीं आते थे। बरबीघा  बाजार पर अंग्रेज के द्वारा पेनाल्टी टैक्स लगा दिया गया था। इस मामले में भी कई लोग जेल भी गए थे। जिसमें बाजार से जुड़े चैतू राम इत्यादि शामिल थे।

लाला बाबू सबसे अग्रणी रहे

स्वतंत्रता आंदोलन में बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ श्रीकृष्ण सिंह सहित स्वतंत्रता सेनानी श्री कृष्ण मोहन प्यारे सिंह उर्फ लाला बाबू, स्वतंत्रता सेनानी राजेंद्र प्रसाद, सूरमा सिंह, बाल्मीकि सिंह, कार्य नंद सिंह, जगदीश सिंह इत्यादि की भूमिका को आज भी लोग याद करते हैं।

जानकारी देते हुए समाजवादी नेता शिव कुमार कहते हैं कि उन्हें 1942 में बरबीघा में कपिल देव बाबू के नेतृत्व में आंदोलन हुआ।इसमें बरबीघा हाई स्कूल के छात्रों ने बरबीघा थाना पर तिरंगा झंडा लहराया। थानेदार को शौचालय में बंद कर दिया। इस आंदोलन में कपिल देव बाबू सहित लाला बाबू को ओनामा निवासी बाल्मीकि सिंह, नीमी निवासी कार्यानंद सिंह, जगदीश सिंह इत्यादि जेल गए।

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कपिल देव बाबू नवमी क्लास के छात्र थ। बड़हिया में उनकी गिरफ्तारी हुई थी। किसी तरह भागकर वे बरबीघा आ गए। यहां तेउस निवासी महेंद्र सिंह के साथ उनके हॉस्टल बरबीघा के सामाचक कचहरी में रहे और आंदोलन की रणनीति बनाई।

क्रांतिकारी राजेन्द्र प्रसाद का बम से उड़ गया हाथ

नगर के शेरपर मोहल्ला निवासी  स्वतंत्रता सेनानी राजेंद्र प्रसाद की भूमिका को भी लोग आज भी याद करते हैं। बताया जाता है कि उनके द्वारा क्रांतिकारी संगठन ज्वाइन किया गया था। अंग्रेज  पर हमले को लेकर बम ले जाने के क्रम में बम विस्फोट में उनका एक हाथ उड़ गया था। वे ताउम्र उसी तरह से रहे। उनके योगदान को आज भी लोग याद करते हैं।

 

इसी तरह हम बिहार केसरी के द्वारा बरबीघा के समाचार गौशाला मैदान में ईंट की नोनी से गांधी जी के नमक सत्याग्रह आंदोलन के दौरान नमक बनाने का आंदोलन भी किया गया था। 15 अगस्त 1947 को जब देश आजाद हुआ तो लाला बाबू ने  झंडा चौक पर ही पहली बार तिरंगा झंडा फहराया। आजादी के आंदोलन में लाला बाबू कई बार जेल गए परंतु उन्होंने आंदोलन जारी रखा।

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