• Saturday, 23 November 2024
80% बच्चे और 73% महिलाओं के खून में है यह कमी, माड़-भात खाने की सलाह

80% बच्चे और 73% महिलाओं के खून में है यह कमी, माड़-भात खाने की सलाह

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80% बच्चे और 73% महिलाओं के खून में है यह कमी, माड़-भात खाने की सलाह

News Desk

बिहार राज्य में 80% बच्चे एनीमिया से ग्रसित हैं। खून में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम है। इसको खून की कमी भी कहते हैं। इससे बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित होता है। बच्चों का शारीरिक विकास रुक गया है और मानसिक विकास भी कमजोर हुआ है। 2015-16 में कराए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे में यह आंकड़ा 67% था जबकि 2019- 20 में कराए गए सर्वे में यह आंकड़ा बढ़कर 80% हो गया ।

इसी आंकड़े को लेकर स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ गई है। कोविड-19 में यह आंकड़ा इसलिए भी बढ़ गया क्योंकि कोविड-19 से निबटने में स्वास्थ्य कर्मी लगे रहे और इस पर ध्यान नहीं दिया गया । आयरन की गोली उचित समय पर लोगों को नहीं दी गई। वितरित भी किया गया तो लोगों ने जागरूकता की कमी से इसे सेवन में नहीं लाया।

केयर इंडिया की टीम पहुंची मुआयना करने

भारत सरकार के स्वास्थ्य विभाग के साथ साथ काम कर रही संस्था केयर इंडिया की टीम एनीमिया की जमीनी हकीकत जानने के लिए शेखपुरा जिला के बरबीघा के कोलहाड़ाबीघा गांव पहुंची। इस टीम में केयर इंडिया के राष्ट्रीय प्रतिनिधि प्रभाकर सिन्हा, जिला जिला प्रतिनिधि अभिनव कुमार, प्रखंड प्रतिनिधि अमन कुमार एवं अस्पताल के प्रभारी डॉ फैसल अरशद गांव में जाकर एनीमिया ग्रसित बच्चों के माता-पिता से बातचीत की।

मौके पर राष्ट्रीय टीम को सभी बच्चे कुपोषण के शिकार दिखाई दिए। उन्होंने परिवार के लोगों को इससे निबटने की जानकारी दी। जागरूकता बढ़ाया। इस में साग का प्रयोग भोजन में करने के लिए बताया।

माड़-भात है एनीमिया से निबटने में कारगर

मौके पर स्वास्थ्य की टीम ने ग्रामीणों को माड़-भात का प्रयोग भी करने के लिए कहा। साग और सब्जी के प्रयोग के साथ-साथ माड़ भात खाना भी शरीर में आयरन की कमी को दुरुस्त करता है। माड़ भात को भी आयरन युक्त माना गया है। डॉक्टर फैसल बताते हैं कि माड़ में भी आयरन की मात्रा होती है। लोग इसका प्रयोग नहीं करते हैं इससे शरीर में आयरन की कमी हो जाते हैं।

आयरन की कमी से होते हैं कई गंभीर परिणाम

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स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गांव वालों को समझाया कि आयरन की कमी शरीर में होने से हीमोग्लोबिन की मात्रा घट जाती है। इससे बच्चों में शारीरिक विकास नहीं होता। 10- 12 वर्ष के बच्चे की लंबाई जितनी होनी चाहिए उतनी नहीं होती। बिहार में यह काफी प्रभावित किया है। बच्चों की लंबाई कम हो गई है । साथ ही साथ मानसिक स्तर पर भी विकास रुक जाता है और मानसिक रूप से बच्चे कमजोर हो जाते हैं। इसलिए आयरन की गोली का सेवन करने की सलाह भी दी। उससे पहले साग सब्जी माड़/भात खाने की भी सलाह दी गई।

80% बच्चे हैं एनीमिया से ग्रसित

राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वे में 80% बच्चों के एनीमिया से ग्रसित होने की बात कही गई है। 2019-2020 के राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वे में यह आंकड़ा दिया गया है । यह बच्चे 5 साल की उम्र से नीचे के है। वही 15 साल से 49 साल तक की महिलाओं में 70% खून की कमी पाई जाती है। 15 से 19 वर्ष के किशोरियों में 73% खून की कमी का मामला सामने आया है। गर्भवती महिलाओं में 64% तक खून की कमी है। इसी तरह से सामान्य तौर पर सभी महिलाओं में 69% तक खून की कमी देखी गई है।

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