सजा : स्कूल जा रही बच्ची से छेड़खानी करने वाले को काेर्ट ने सुनाई कड़ी सजा, पांच लाख मुआवजा
सजा : स्कूल जा रही बच्ची से छेड़खानी करने वाले को काेर्ट ने सुनाई कड़ी सजा, पांच लाख मुआवजा
नवीन कुमार-शेखपुरा
पोक्सो न्यायालय के विशेष न्यायाधीश एडीजे षष्ठम बसंत कुमार ने नाबालिग के साथ छेड़छाड़ करने के मामले में एक बदमाश को दोषी पाते हुए 7 साल की सजा सुनाई है। न्यायालय ने पीड़िता को पांच लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश सरकार को दिया है । दोषी विकास कुमार शेखोपुरसराय थाना क्षेत्र के कबीरपुर गांव का रहने वाला है।
रामाशीष यादव का पुत्र है इस संबंध में जानकारी देते हुए पोक्सो मामलों के विशेष लोक अभियोजक नैला बेगम ने बताया कि 24 अगस्त 2015 को दोषी के बगल के गांव रहींचा की एक नाबालिग के स्कूल जाने के रास्ते में विकास कुमार द्वारा छेड़छाड़ करने का मामला दर्ज कराया गया था । नाबालिग छात्रा के पिता ने थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
इस संबंध में न्यायालय ने कारवाई पूरी करते हुए दोषी विकास कुमार को भारतीय दंड विधान की धारा 354 बी के तहत 7 साल और पचास हजार रुपए जुर्माना तथा पोक्सो की धारा 8 के तहत 5 साल की सजा और पचास हजार रुपए का जुर्माना की सजा सुनाई है । पीड़िता को पांच लाख रुपए का मुआवजा जिला विधिक सेवा प्राधिकार के माध्यम से उपलब्ध कराए जाने का आदेश दिया गया है। उन्होंने बताया कि अभियोजन द्वारा न्यायालय में नाबालिक के बयान के साथ-साथ उसके पिता और पुलिस पदाधिकारियों का बयान कलमबद्ध कराया गया। सजा सुनाने के बाद दोषी को कड़ी सुरक्षा में मंडल कारा भेज दिया गया।
बिहार दिवस पर आमंत्रण न्यायिक पदाधिकारी दुखी
शेखपुरा।
बिहार दिवस के अवसर पर जिला प्रशासन द्वारा मुख्य समारोह में शामिल होने के लिए निमंत्रण नहीं देने पर राजनीतिक दल सामाजिक कार्यकर्ता और मीडिया द्वारा असंतोष का इजहार करने के बाद अब इस कड़ी में न्यायिक पदाधिकारी भी शामिल हो गए हैं। जिला न्यायालय में कार्यरत न्यायाधीशों ने जिला प्रशासन द्वारा बिहार दिवस के आयोजन पर आमंत्रण नहीं देने को लेकर मुख्य सचिव से शिकायत की है। जिला न्यायालय में कार्यरत कई न्यायाधीशों ने इस संबंध में बिहार सरकार के मुख्य सचिव को बिहार दिवस की शुभकामना देते हुए जिला प्रशासन द्वारा आयोजित समारोह में इन लोगों को निमंत्रण नहीं दिए जाने पर खेद व्यक्त किया है ।
न्यायाधीशों ने इस प्रकार के आयोजन को बिहार के गौरवशाली इतिहास को सामने लाने का एक बेहतर माध्यम बताया। न्यायाधीशों ने अपनी शिकायत में बताया कि यह न्यायिक पदाधिकारियों के मनोबल को गिराने वाला कार्य है। न्यायाधीशों ने इसे विशेष रुप से आहत करने वाला कदम बताया है। गौरतलब है कि इसके पूर्व जिले के विभिन्न राजनीतिक दलों ने भी जिला प्रशासन के आमंत्रण नहीं देने के कार्य की जमकर आलोचना की थी ।
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