• Monday, 20 May 2024
मोकामा का परशुराम महोत्सव: जानिए क्या है बाबा परशुराम में खास

मोकामा का परशुराम महोत्सव: जानिए क्या है बाबा परशुराम में खास

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मोकामा का परशुराम महोत्सव: जानिए क्या है बाबा परशुराम में खास

 

प्रियदर्शन शर्मा/मोकामा

 

बाबा परशुराम हमारे ग्राम देवता हैं। और अपने जीवनकाल में मैंने कई बार विषम परिस्थितियों में यह महसूस किया है एक अदृश्य शक्ति से मेरा मार्गदर्शन होता रहा है। स्वाभाविक है ग्रामदेव होने के नाते हर अनुकूल और प्रतिकूल परिस्थिति में स्मरण बाबा परशुराम का ही होता आया है। मेरे लिए सबसे निकटतम देव। ऐसे भी ईश्वरीय अनुभूति के लिए हृदय में उत्पन्न हुई अखिल करुणा ही परमात्मा को महसूस करने का सबसे सरल माध्य्म है।

 

मेरा हमेशा मानना रहा है कि बुद्धिमता अपनी जगह है लेकिन बल-पौरुष के आसरे ही कुशल शासन संभव है ... शक्ति है तभी आप न्याय के पक्ष में खड़े रहकर दूसरों को न्याय दिला सकते हैं ... कमजोर व्यक्ति कभी भी नेतृत्वकर्ता नहीं बन सकता, उसके साथ शक्ति चाहिए ही चाहे राजतंत्र में सैन्यशक्ति हो या लोकतंत्र में जनशक्ति ... यहां तक कि खुद के निर्भय और निडर होने के लिए भी शक्तिसंपन्न होना जरुरी है ... गलत के पक्ष में आवाज बुलंद करने के लिए भी स्वयं को शक्तिशाली बनाना ही होगा ... 

परशुराम उसी शक्ति के सूचक हैं ... वे ज्ञान के भंडार हैं लेकिन जानते हैं कि शासन की तलवार जिस दिन गले पर आ गई ज्ञान काम नहीं देगा ... इसलिए शास्त्र सर्वज्ञ होने के साथ ही शस्त्र निपुणता भी चाहिए ... वे जानते हैं कि शास्त्र के बल पर हम कुशल तर्ककर्ता बन सकते है ... हम नए शोध कर सकते हैं ... लेकिन समाज और राष्ट्र की रक्षा के लिए हमें शस्त्र विद्या में भी निपुण होना पड़ेगा ... शक्तिसंपन्न बनना ही पड़ेगा .... खुद को नेतृत्वकर्ता के रूप में प्रस्तुत करना ही होगा .... बुद्धिमत्ता के बल पर स्वयं को एक कुशल रणनीतिकार भी बनाना होगा ...

 

परशुराम एक प्रेरणास्रोत हैं कि आप को शिक्षित और तर्कवादी बनाएं लेकिन समय आने पर शक्तिसंपन्न बनकर जीवरक्षा, राष्ट्ररक्षा के लिए खुद को तैयार रखें ... और विशेषकर उनकी रक्षा के लिए जरुर आगे आएं जो दीन-हीन, बल-पौरुष विहीन हों .... शक्ति का अर्थ साम्राज्य विस्तार न होकर न्यायोचित न्यायधर्मी होना चाहिए ... 

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अग्रतः चतुरो वेदाः पृष्ठतः सशरं धनुः । 

इदं ब्राह्मं इदं क्षात्रं शापादपि शरादपि ।। 

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अर्थ : चार वेद मौखिक हैं अर्थात् पूर्ण ज्ञान है एवं पीठपर धनुष्य-बाण है अर्थात् शौर्य है। अर्थात् यहां ब्राह्मतेज एवं क्षात्रतेज, दोनों हैं। जो कोई इनका विरोध करेगा, उसे शाप देकर अथवा बाणसे परशुराम पराजित करेंगे। ऐसी उनकी विशेषता है।

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बाबा परशुराम का यह मंदिर मोकामा, बिहार में है। हमारे यहां हर साल अक्षय तृतीया से एक सप्ताह का महोत्सव मनाया जाता है जिसमें मोकामा के सभी लोग शामिल होते हैं।

 

(मोकामा निवासी लेखक प्रियदर्शन शर्मा वरिष्ठ पत्रकार हैं और विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में पत्रकारिता कर चुके हैं। आलेख उनके फेसबुक से साभार)

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