• Monday, 09 June 2025
और जमीन पर बैठकर पढ़ते-पढ़ते हमेशा के लिए मौत की नींद सो गया घंटू

और जमीन पर बैठकर पढ़ते-पढ़ते हमेशा के लिए मौत की नींद सो गया घंटू

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 और जमीन पर बैठकर पढ़ते-पढ़ते हमेशा के लिए मौत की नींद सो गया घंटू


 
बरबीघा, शेखपुरा। 
 
गरीबी बेबसी लाचारी आज ही समाज का हिस्सा है। ऐसे समाज में आज भी कुछ बच्चे पढ़ने के प्रति लालायित होते हैं। ऐसे बच्चों को गुदड़ी का लाल भी कहा जाता है।  यदि इस तरह का एक गुदड़ी का लाल पढ़ते-पढ़ते हमेशा के लिए मौत की नींद सो जाए तो शोक की लहर स्वभाविक होती है। ऐसा ही एक मामला शेखपुरा जिले के बरबीघा प्रखंड अंतर्गत सर्वा पंचायत के जमालपुर गांव में देखने को मिला है।
 
यहां इलाका मांझी के 11 वर्षीय पुत्र घंटू मांझी जमीन पर बैठ कर पढ़ रहा था और पढ़ते-पढ़ते हमेशा के लिए मौत की नींद सो गया। वह कभी अब नहीं उठ पाएगा। दरअसल यह पूरा वाकया जमालपुर गांव में तब हुआ जब घंटू मांझी घर में जमीन पर बैठ कर पढ़ रहा था और वहीं पर पढ़ते पढ़ते सो गया। आधी रात को वह चिल्लाने लगा तब उसकी मां और परिवार के लोग जगे तो देखा कि घंटों को सांप ने डस लिया। उसका इलाज कराने के लिए शेखपुरा शहर लेकर गए जहां निजी क्लिनिक में 6 दिनों तक इलाज चला परंतु चिकित्सक भी उसे नहीं बचा सके। 
 

पढ़ने के प्रति घंटू को बहुत ललक थी

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और जमीन पर बैठकर पढ़ते-पढ़ते हमेशा के लिए मौत की नींद सो गया घंटू

इलाका मांझी कहते हैं कि पढ़ने के प्रति घंटू को बहुत ललक थी। इसलिए वह पढ़ रहा था। जमीन पर बैठकर जब पढ़ रहा था तो उसे नींद आ रही थी। मां ने खटिया पर ले जाने की कोशिश की तो कहा कि अभी पढ़ेगे। इसी बीच वहीं सो गया और रात में सांप ने डस लिया। बाद में गांव वाले जगे तो सांप की खोजबीन शुरू हुई तो करेत सांप निकला। जिसे गांव के लोगों ने मार दिया परंतु एक होनहार बच्चा इसी तरह से हमेशा के लिए मौत की नींद सो गया।

झाड़-फूंक कराने में बिगड़ गई थी स्थिति ग्रामीण बताते हैं कि सांप के काटने के बाद गांव में ही झाड़-फूंक बच्चा का किया जाता रहा। जब स्थिति बिगड़ने लगी तो चिकित्सक के पास शेखपुरा ले जाया गया। बता दें कि सांप काटने पर अभी भी गांव में झाड़-फूंक का सहारा लिया जाता है । इसी तरह के झाड़ फूंक का सहारा लेने में एक बच्चे की जान चली गई।

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