• Monday, 09 June 2025
HAPPY NEW YEAR: प्रियतम के ग्रीटिंग्स कार्ड का इंतजार साल भर, अब दौर हो गया खत्म

HAPPY NEW YEAR: प्रियतम के ग्रीटिंग्स कार्ड का इंतजार साल भर, अब दौर हो गया खत्म

stmarysbarbigha.edu.in/

शेखपुरा

एक दौर वह था जब नववर्ष के आगमन की सूचना बाजारों में सजे ग्रीटिंग्स कार्ड से लगती थी। लोग बाजारों से ग्रीटिंग कार्ड खरीद अपनी भावनाओं उकेरते और फिर अपने प्रियजनों तक डाकघर के माध्यम से उसे पहुंचाते थे। नव वर्ष के इस शुभकामना संदेश के उत्सव में डाकघर भी शामिल होता था। केंद्रीय स्तर से डाकघर में अलग-अलग थीम से निर्मित ग्रीटिंग्स कार्ड भेजे जाते थे। तकनीकी युग में अब डिजिटल ग्रीटिंग्स का दौर आ गया।

राष्ट्रीय संग्रहालय की होती थी भूमिका

शेखपुरा डाकघर के प्रभारी मनीष आनंद कहते हैं कि एक दशक पहले डाकघर में प्रत्येक दिन 200 से अधिक ग्रीटिंग्स कार्ड भेजने के लिए लोग जमा होते थे। विभाग के द्वारा अलग-अलग थीम पर ग्रीटिंग्स कार्ड भेजे जाते थे। ऐसा ही एक ग्रीटिंग्स कार्ड दिखाते हुए मनीष बताते हैं कि राष्ट्रीय संग्रहालय नई दिल्ली के साभार से हाथ में फुलझड़ी लिए मुगल महिला का ग्रीटिंग कार्ड बिक्री के लिए डाकघर में उपलब्ध कराया गया था। इसकी कीमत 14 रूपये रखी गई थी। दौर बदल गया। इसकी बिक्री अब नहीं होती परंतु स्टॉक में आज भी ग्रीटिंग कार्ड रखे हुए हैं।

खत्म हो गए ग्रीटिंग्स कार्ड की दुकान

एक पखबाड़ा पहले से बाजारों में ग्रीटिंग कार्ड बेचने के लिए दुकान विशेष रूप से सजाए जाते थे। कम कीमत से लेकर अधिक कीमत तक अलग-अलग ग्रीटिंग्स कार्ड होते थे। बरबीघा के पुरानी शहर में ग्रीटिंग्स कार्ड विक्रेता प्रदीप कुमार कहते हैं कि पहले दिल्ली से जाकर विशेष तौर पर ग्रीटिंग्स कार्ड लाए जाते थे और 15 दिनों तक केवल उसकी ही बिक्री होती थी। अब एक-दो ही बिक्री होता है।
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ग्रीटिंग्स कार्ड से दिल की बात

नववर्ष पर ग्रीटिंग्स कार्ड भेजने की परंपरा में वैसे तो अपने प्रियजनों को भेजने की परंपरा थी परंतु इसमें प्रेमी और प्रेमिका के द्वारा ग्रीटिंग्स कार्ड एक दूसरे को देने की परंपरा खूब रही। ग्रीटिंग्स कार्ड में अपने दिल की बात भी प्रेयसी उकेर प्रियतम के तक दिल की बात पहुंचा पाती थी। अब वह दौर खत्म हो गया।
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