
देवोत्थान पूजा! दुनिया की सबसे ऊंची बिष्णु प्रतिमा स्थान पे आज से महोत्सव।

बरबीघा। (शेखपुरा)
प्रखण्ड के विष्णुधाम सामस में सोमवार से पांच दिवसीय विष्णुधाम महोत्सव सह मेला शुरू हो रहा है। हर वर्ष की भांति इस महोत्सव सह मेला के आयोजन को भव्य बनाने में पिछले पंद्रह दिनों से लोग दिन रात एक करके तैयारियों में जुटे थे।
विष्णुधाम न्यास समिति के अध्यक्ष डॉ कृष्ण मुरारी सिंह के नेतृत्व में महोत्सव की सारी तैयारियाँ पूरी कर ली गई है। सोमवार की शाम 4 बजे शेखपुरा के डीएम योगेंद्र सिंह इस महोत्सव का विधिवत उद्घाटन करेंगे।
जबकि 23 नवम्बर के दिन इस महोत्सव का समापन केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की उपस्थिति में किया जाएगा।
मंदिर परिसर को आकर्षक पंडाल एवम कृत्रिम रोशनियों से सजाया सवारा गया है। महोत्सव में पहुँचनेवालों को ठहरने की भी व्यवस्था की गई है।
इस दौरान रासलीला , रामलीला , जागरण , कीर्तन भजन के साथ साथ देश के कोने कोने से साधु संत भी पधार रहे है। कार्यक्रम स्थल के समीप कई दुकानें सज धज चुकी है। मेले में कई मनोरंजन के साधन भी लगाए गए है।
जानिए ऐतिहासिक सच:-
शेखपुरा जिला के बरबीघा के सामस गांव में उत्तर भारत के तिरुपति कहे जाने वाले विष्णु धाम स्थापित है। इस विष्णु धाम में दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्थानिक मुद्रा में स्थापित है। इसकी ऊंचाई 7.5 फिट है।
पाल कालीन, काले ग्रेनाइट से बने भगवान विष्णु की इस प्रतिमा को देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक आते हैं यहां भव्य मंदिर का निर्माण कार्य भी चल रहा है।
महोत्सव का किया जा रहा है आयोजन:-
देवोत्थान मेला के अवसर पर प्रत्येक साल यहां पांच दिवसीय देवोत्थान मेला सह विष्णु धाम महोत्सव का आयोजन किया जाता है।
इसकी जानकारी देते हुए विष्णु धाम मंदिर के अध्यक्ष एवं डॉ कृष्ण मुरारी एवं सचिव अरविंद मानव ने बताया कि विष्णु धाम महोत्सव की तैयारी पूरी कर ली गई है।
19 तारीख को इसका शुभारंभ संध्या 4:00 बजे से किया जाना है। दोपहर से संगीतमय सांस्कृतिक जागरण का आयोजन है जो संध्या तक चलेगी। उसके बाद भव्य रासलीला का आयोजन होगा एवं आए हुए संत मुनियों के द्वारा प्रवचन भी किए जाएंगे। 23 को इसका समापन होना है।

ऐतिहासिकता है प्रतिमा:-
विष्णुधाम मंदिर में भगवान विष्णु की 7.5 फीट ऊंची व 3.5 फीट चौड़ी भव्य मूर्ति स्थापित है। भगवान विष्णु के चार हाथों में शंख, चक्र, गदा तथा पद्मम स्थित भी है।
सितादेव मूर्तिकार ने बनाया:-
मूर्ति की वेदी पर पाल कालीन देवनागरी में अभिलेख ‘ऊं उत्कीर्ण सूत्रधारसितदेव:’ उत्कीर्ण है। पाल कालीन लिपि में आकार, इकार और ईकार की मात्रा विकसित हो गई है। ब्राह्मी लिपि में छोटी खड़ी लकीर के स्थान पर यह पूरी लकीर बन गई है।
विष्णुमूर्ति के दांए व बांए दो और छोटी मूर्तियां हैं। यह स्पष्ट रूप से पता नहीं चल पाया है कि ये मूर्तियां शिव-पार्वती की हैं या शेषनाग और उनकी पत्नी हैं।
शील बाबा के रूप में पूजा:-
यह दुर्लभ मूर्ति 5 जुलाई 1992 में तालाब से युवाओं ने खुदाई कर निकाली। पहले मूर्ति का अग्र भाग दिखाई देता था जिसकी पूजा गांव के लोग शील बाबा के रूप में करते थे। सामस जगदंबा स्थान में भी कई मूर्तियां रखी हुई है जो पालकालीन बताई जाती है।
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