• Friday, 26 April 2024
बनारसी पान उत्पादक किसानों का दर्द जानने खेत में चले गए IAS सावन कुमार

बनारसी पान उत्पादक किसानों का दर्द जानने खेत में चले गए IAS सावन कुमार

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बनारसी पान उत्पादक किसानों का दर्द जानने खेत में चले गए IAS सावन कुमार 

 
शेखपुरा
 
शेखपुरा के जिलाधिकारी आईएएस सावन कुमार ग्रामीण व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण के लिए लगातार अपनी सक्रियता बनाए हुए रखते हैं। वह चाहे साप्ताहिक बुधवार को गांव के सभी सरकारी योजनाओं के निरीक्षण की बात हो अथवा अचानक से किसी भी गांव, अस्पताल, स्कूल में पहुंचकर निरीक्षण का मामला, जिलाधिकारी कि यह सक्रियता लगातार सुर्खियों में रहती है।   इसका परिणाम धीरे-धीरे सरकारी व्यवस्था में सुधार के रूप में भी सामने आ रहा है। जिलाधिकारी सावन कुमार एक बार फिर से अपने इसी काम को लेकर शेखपुरा जिले के बनारसी पान उपजाने वाले किसानों के दर्द को समझने के लिए उनके खेत चले गए ।
खेत में जाकर किसानों के साथ बैठकर बातचीत की और उनका दर्द समझा।  हर संभव उसके निराकरण के उपाय का भरोसा भी दिया । शेखपुरा के जिलाधिकारी सावन कुमार जिले के सदर प्रखंड अंतर्गत कोसरा पंचायत के खखड़ा गांव पहुंचे । जहां बड़ी संख्या में चौरसिया समुदाय के लोगों के साथ-साथ अन्य लोगों के द्वारा बनारसी पान का उत्पादन किया जाता है। पान की खेती काफी मेहनत की खेती होती है। चारों तरफ से उसको घेर कर रखा जाता है। क्यारी के बीच काफी मेहनत करना पड़ता है । 

क्यारी के बीच जाकर किसानों के साथ डीएम बैठे

 
ऐसे में पान की खेती के क्यारी के बीच जाकर किसानों के साथ डीएम बैठे और उनसे बातचीत की। जिलाधिकारी को किसानों ने बताया कि पान उत्पादक किसानों को भारी परेशानी है। सबसे पहली बात की आपदा प्रबंधन के तहत  कुछ भी लाभ नहीं मिलता है। धान गेहूं के फसल का नुकसान होने पर लाभ दिया जाता है परंतु इनके लिए कोई भी व्यवस्था नहीं है। पाला पड़ने पर इनको भारी नुकसान हो जाता है। साथ ही साथ इनपुट अनुदान के रूप में बीज का उत्पादन मिलता है परंतु उत्पादकों के लिए इस तरह की व्यवस्था नहीं है।
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वाराणसी में बेचने के लिए जाने पर भारी परेशानी

 
यह समस्या किसानों ने उनको बताई है। सबसे बड़ी समस्या किसानों ने जिलाधिकारी के सामने जो रखी वह है कि यहां से पान का उत्पादन करके वाराणसी में बेचने के लिए जाने पर भारी परेशानी होती है और वहां मोलभाव करने का अवसर नहीं मिलता है। कम दाम पर   बेचकर लौटना पड़ता है । किसानों ने बताया कि वाराणसी में मंडी होने की वजह से यहां का पान वहां जाकर भी लोग बेचते हैं। बिहार में कोई मंडी पान का नहीं है। जिससे परेशानी होती है। उन्होंने जिलाधिकारी से मांग की कि पटना, गया, नालंदा कहीं भी पान की मंडी सरकार के द्वारा हो जाए तो उन लोगों को काफी परेशानी होगी। जिलाधिकारी ने इस पर पहल करने का आश्वासन भी किसानों को दिया।
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