• Saturday, 20 April 2024
यहां है ख्वाजा इसहाक मगरबी का मजार तो नहीं होता रामनवमी, कारण जानकर चौंक जाएंगे आप

यहां है ख्वाजा इसहाक मगरबी का मजार तो नहीं होता रामनवमी, कारण जानकर चौंक जाएंगे आप

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यहां है ख्वाजा इसहाक मगरबी का मजार तो नहीं होता रामनवमी, कारण जानकर चौंक जाएंगे आप

शेखपुरा

सामाजिक सौहार्द, धार्मिक प्रवृत्ति , आस्था, अनुराग अथवा अंधविश्वास। इन सभी से जुड़ा हुआ एक मामला शेखपुरा जिले के गांव का है। जिले के पथलाफाड़ गांव में रामनवमी का त्यौहार नहीं मनाया जाता। यहां किसी भी घर में ध्वजा नहीं लगाया जाता। ऐसा नहीं करने के कई कारण हैं। परंतु प्रमुख कारण ख्वाजा इसहाक मगरबी के मजार का होना बताया जा रहा है।


गांव वालों की मानें तो शेखपुरा के मटोखर में ख्वाजा का मजार है। उनका दरवाजा पूरब दिशा में पतलाफाड़ गांव की तरफ है। ऐसी मान्यता है कि ख्वाजा सूफी संत के नाराज नहीं होने को लेकर गांव में रामनवमी का ध्वजा नहीं लगाया जाता। वहीं कुछ अंधविश्वास का मामला भी सामने आता है।

मटोखर का मजार

कुछ दशक पहले जब ऐसा करने का गांव में कोशिश कुछ लोगों ने किया तो उनके साथ कुछ अनहोनी घटना घट गई। तब से लेकर गांव में ध्वजा नहीं लगाया जाता। 60 वर्ष से लेकर 80 वर्ष तक के बुजुर्ग बताते हैं कि दशकों से ऐसी परंपरा चली आ रही है। कितनी पुरानी यह परंपरा है इसकी याद किसी को नहीं है। परंतु गांव में अनहोनी के डर से और धार्मिक सौहार्द, अंधविश्वास अथवा आस्था की वजह से रामनवमी का त्यौहार नहीं मनाया जाता।

एक भी घर में ध्वजा नहीं लगाया जाता। पतलाफार गांव का यह मामला है। गांव के 80 वर्षीय बुजुर्ग कामेश्वर यादव, 55 वर्षीय मोती यादव, दर्शन चौहान, सुरेंद्र यादव इत्यादि बताते हैं कि पुरखों के समय से ही यह परंपरा चली आ रही है। जिसका निर्वहन गांव के लोग करते हैं।

परंपरा के अनुसार गांव में रामनवमी का त्यौहार सूफी संत के सम्मान में नहीं मनाया जाता। वहीं कुछ दशक पहले कुछ लोगों ने ऐसा करने का प्रयास किया तो उनके साथ अनहोनी की घटना भी घट गई। इस वजह से भी लोग अब गांव में रामनवमी नहीं मनाते।

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बता दें कि शेखपुरा के मटोखर में ख्वाजा इसहाक मगरबी का मजार है। यहां हिंदू मुस्लिम सभी लोग आस्था को लेकर आराधना करने के लिए जुटते हैं। यहां आराधना करने वालों में हिंदुओं की संख्या ही सर्वाधिक रहती है। हर शुक्रवार को भारी मेला यहां लगता है और दूर-दूर से हिंदू श्रद्धालु और मुस्लिम श्रद्धालु भी आते।

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