
हिंदू धर्म में बांस और वंश का संबंध

हिंदू धर्म में बांस और वंश का संबंध
- अरुण साथीहिंदू धर्मावलंबियों के लिए प्राकृतिक पूजा त्योहार, शादी विवाह से लेकर श्राद्ध तक में दुनिया के सभी धर्मावलंबियों के लिए अनुकरणीय है।शादी विवाह में गांव में आज भी विवाह से पहले आम के बगीचे में जाकर योग मांगना। उसके अलावा कई विधान है जो प्राकृतिक के इर्द-गिर्द घूमते हैं। जिसमें पेड़ पौधे, कुआं, तालाब शामिल है।इसी तरह शादी विवाह के बाद बांस की बसेड़ी और वंश का संयोग भी देखने को मिलता है।दूल्हे का मौरी से लेकर शादी विवाह में लगा हल्दी और अन्य शादी विवाह में गैर जरूरी सामान शादी के बाद बांस के बसेड़ी में जाकर महिलाएं रख आती हैं। जाते हुए महिलाएं भी गीत गाती हुई जाती हैं और लौटते हुए भी गीत गाते लौटती हैं।प्राकृतिक पूजा के तौर पर यह माना जाता है कि बांस का वंश वृद्धि में सर्वाधिक सहयोग है और यह कामना लोग करते हैं कि जिस तरह बांस का वंश बढ़ता है वैसे ही परिवार का बढ़े। गांव में बांस का दातुन करना आज भी प्रतिबंधित है। इसका मुख्य कारण वंश वृद्धि बांस की तरह होने की कामना है। इसी तरह की एक तस्वीर संलग्न है।
लेखक बरिष्ठ पत्रकार है। आलेख उनके ब्लॉग चौथा खंभा से साभार लिया गया है।
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