
कृषि आधारित उद्योग पर्यावरण और बिहार दोनों की बदल सकती है किस्मत : राज्यपाल

कृषि आधारित उद्योग पर्यावरण और बिहार दोनों की बदल सकती है किस्मत : राज्यपाल
पटना
350 से अधिक आम के प्रभेदों का खजाना है बिहार
राजधानी पटना में आयोजित बिहार आमोद उत्सव 2024 का आगाज बिहार के राज भवन स्थित राजेंद्र मंडप से किया गया । कृषि विभाग बिहार सरकार और बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के संयुक्त प्रयास से इस उत्सव का आयोजन किया गया था । अपने संबोधन के दौरान राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि मुझे बराबर घूमने की आदत है और इस दरमियान जब मैं बिहार के विभिन्न इलाकों से गुजरा था तो आम की तरह-तरह की किस्म को देखकर मैं अपने कई जगह काफिला रोक कर उसका अवलोकन किया करता था और पूछता था कि यह कौन सी वेराइटी है यह कौन सी वेराइटी है मतलब हमें यह रुचि रहती थी कि आम को नजदीक से जाना जाए ।बड़े-बड़े बगीचे पूर्वजों के हुआ करते थे जिसमें गांव के सभी बच्चे या यूं कहें कि गांव के आम लोग भी आम का आनंद लिया करते थे पर आज ऐसा नहीं है।

अब आम खास लोगों का फल होता जा रहा है । इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि हम अपने पौधों को संरक्षित नहीं कर रहे हैं और जो पुराने पौधे हैं उन्हें या तो हम काट रहे हैं और उसके जगह पर नए पौधे या नए बगीचे लगाने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं जिसका खामियाजा हमें प्रकृति के विपरीत परिस्थिति के रूप में भी मिल रहा है । उन्होंने अपने संबोधन के दौरान कहा कि यह बड़े सौभाग्य की बात है कि खाद्य प्रसंस्करण मंत्री भी बिहार के ही है और यह मंत्रालय बिहार को मिलने से सबसे बड़ी बात यह है कि अगर युवा मंत्री चिराग पासवान चाहे तो बिहार में जो आम की स्थिति पिक सीजन में बदतर हो जाती है और आम को बाहर भेजने में बिहार का लगभग 12000 करोड़ रूपया निर्यात शुल्क में व्यय होता है जिसकी सीधी बचत हमारे बिहार के किसानों को हो जाएगी।

उन्होंने यह भी कहा कि हमने विशेष रूप से चिराग पासवान से बात की है और उन्होंने भी इच्छा जाहिर की है कि आम के प्रसंस्करण के उद्योग विहार में उद्योग लगाये जा सकते हैं और इसकी काफी संभावनाएं हैं । संबोधन में उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा की पर्यावरण की रक्षा का दायित्व भी आप ही लोगों पर है और आने वाली पीढ़ियों को एक अच्छा माहौल देना भी आपका ही दायित्व है । मजाकिया लहजे में उन्होंने अपने संबोधन के दौरान कहा कि राजभवन में पहले खास लोगों के लिए प्रवेश हुआ करता था और आज भी सुरक्षा कारणों से यह खास ही लेकिन मैं चुकी मेरी आदत है आम लोगों से मिलने की इसलिए मैं आम लोगों के लिए राजभवन को आम कर सकूं ऐसी मेरी इच्छा थी । जिसके लिए हमने आम उत्सव 2024 जैसे महापर्व को मनाने का निर्णय लिया जिसमें की कृषि विश्वविद्यालय सबौर और कृषि विभाग बिहार सरकार का अभूतपूर्व योगदान रहा । उन्होंने उपस्थित कृषि विभाग के मंत्री एवं सचिव दोनों का आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद दिया कि आप दोनों के ही सहयोग से इस तरह का कार्यक्रम संपन्न हो सका है।




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