शहर की सड़कों पर जब गुजरी गाय तो लोगों ने की पुष्प वर्षा। आरती उतारी । पूजा किया
शहर की सड़कों पर जब गुजरी गाय तो लोगों ने की पुष्प वर्षा। आरती उतारी । पूजा किया
शेखपुरा
शेखपुरा जिला के शहरी क्षेत्र के सड़कों पर जब गाय को गुजरी तो लोगों ने पुष्प वर्षा की ।
लोगों ने जगह-जगह गायों को रोक कर आरती उतारी। पुष्प चढ़ाएं। पूजा अर्चना की।
प्रसाद वितरण भी किया । दरअसल इस तरह का आयोजन गोपाष्टमी पर किया गया। गोपाष्टमी को लेकर जिला मुख्यालय और बरबीघा प्रखंड मुख्यालय के गौशाला में विशेष आयोजन और धार्मिक अनुष्ठान किए गए।
शेखपुरा और बरबीघा गौशाला में धार्मिक अनुष्ठान के साथ-साथ गायों को भी सजाया गया।
बरबीघा गौशाला में गायों को सजाकर बड़ी संख्या में गौशाला कमेटी से जुड़े लोगों के साथ-साथ श्रद्धालुओं के द्वारा गायों की झांकी निकाली गई।
नगर में भ्रमण कराया गया। बाजार की विभिन्न शहरी क्षेत्र के सड़कों पर गायों के गुजरने के बाद श्रद्धालुओं के द्वारा गायों पर पुष्प वर्षा की गई। आरती उतारे गई। पूजा अर्चना के बाद प्रसाद भी वितरण किया गया।
गोपाष्टमी: गाय माता और भगवान कृष्ण का पावन पर्व
गोपाष्टमी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से भगवान श्री कृष्ण और गौ माता को समर्पित है। इस दिन भगवान कृष्ण ने गौ-चारण की लीला शुरू की थी, इसलिए इस दिन को गोपाष्टमी के नाम से जाना जाता है।
गोपाष्टमी का महत्व
भगवान कृष्ण और गौ माता का सम्मान:
गोपाष्टमी का सबसे प्रमुख कारण भगवान कृष्ण और गौ माता के प्रति श्रद्धा और सम्मान प्रकट करना है। भगवान कृष्ण ने गौ माता को माँ का दर्जा दिया था और गौ-सेवा को धर्म का एक महत्वपूर्ण अंग माना था।
सुख-समृद्धि: मान्यता है कि इस दिन गौ माता की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और व्यक्ति को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
धार्मिक महत्व: गोपाष्टमी का धार्मिक महत्व भी बहुत अधिक है। इस दिन भगवान कृष्ण ने इंद्र देव को पराजित किया था और गोवर्धन पर्वत को उठाकर गोकुलवासियों को बचाया था।
पौराणिक कथाएं: गोपाष्टमी से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं, जिनमें भगवान कृष्ण और गौ माता के प्रेम और त्याग का वर्णन किया गया है।
गोपाष्टमी की पूजा विधि
गोपाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद भगवान कृष्ण और गौ माता की पूजा की जाती है। इस दिन बछड़े सहित गाय का पूजन करने का विधान है। पूजा में फूल, फल, मिठाई, धूप, दीप आदि चढ़ाए जाते हैं।
गोपाष्टमी का त्योहार क्यों मनाया जाता है?
भगवान कृष्ण की बाल लीला: भगवान कृष्ण ने अपनी बाल लीला वृंदावन में ग्वालों के साथ बिताई थी। उन्होंने गायों को चराया और गोपियों के साथ रासलीला की। गोपाष्टमी इसी बाल लीला से जुड़ा हुआ है।
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