• Thursday, 21 November 2024
महेंद्र बाबू : उनके निजि ट्युटर राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर रहें थे

महेंद्र बाबू : उनके निजि ट्युटर राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर रहें थे

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उनके निजि ट्युटर राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर रहें थे
 
असंख्य घटनाएं और बातें हैं जो उन्हें सामान्य से ऊचा दिखाता है । महेंद्र बाबू एक जमींदार परिवार से आते थे ।उनके निजि ट्युटर राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर रहें थे जब वे बरबीघा उच्च विद्यालय के प्रधानाध्यापक थे । 42 के भारत छोड़ो आन्दोलन में एक छात्र के रूप मे उनकी भागीदारी थी । बरबीघा थाना से उनके परिवार के लोग छुड़ा कर ले गये थे। इसका उन्हें बरबर मलाल रहता था । वे गांधी जी के पक्के अनुयाई थे। अक्सर इलाके और तेउस पंचायत की मांगों को‌ लेकर अनशन करते रहते थे । पहले कांग्रेस फिर समाजवादी और कम्युनिस्ट पार्टी में रहें। एक वार बरबीघा विधानसभा से चुनाव भी लड़े थे और कम वोटों से हारे थे ।
 
प्रखंड विकास पदाधिकारी और ठीकेदार ने बंदरबाट कर लिया
 
एक बार फुड फांर वर्क में तेउस पंचायत में काम आया । कागज पर ही तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी और ठीकेदार ने बंदरबाट कर लिया । ठीकेदार भी महेंद्र बाबू का समर्थक ब्यक्ति था पर महेंद्र बाबू तो जनता के आदमी थे । कोई ठीकेदार के इस घोटाले को वरदास्त कैसे करते ? कलेक्टर से लेकर मंत्री तक को लिखा कुछ भी कार्रवाई नही हुई । हार पार कर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल किया । वहां भी खारिज हो गया ।तब सुप्रीम कोर्ट चलने की बात हुई ।मै भी साथ दिल्ली गया । जार्ज साहेब की मदत से तारकुंडे साहेब केस लड़ने को तैयार हुए । सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट इसे फिर से तजबिज करने को कहा ।जब फिर से सुनवाई शुरू हुई तो कलेक्टर से लेकर वी डी ओ तक की पतलुन ढिली होने लगी । 
 
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 सबको हाईकोर्ट ने सशरीर हाजीर होने को कहा । आखिर तत्कालीन कलेक्टर मेरे घर पर आये और महेंद्र बाबू से माफी मांगने की बात की। बहुत आरजु विनति से माने ।कलेक्टर मे बतौर जुर्माना 43हजार रूपये दिया और पैर पकड माफी मांगी ।उस जुर्माने की राशि महेंद्र बाबू ने अपने पास नहीं रखा । मुझे रखने कहा पर मैने तत्कालीन अंचलाधिकारी को रखने कहा । उस रूपये से समाजवादी नेता स्वर्गीय सीताराम शास्त्री को जो बीमार थे एक हजार रूपये दिये और रघु राम को भी एक हजार रूपये इलाज के लिए ।शेष रूपये गांव मे सुर्य मंदिर बनाने के लिए दे दिया । गोलोक वासी स्वामी हरिनारायणानंद जी से मैने शिलान्यास का कार्यक्रम बनाया और मंदिर का निमार्ण कार्य शुरू हुआ ।
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