जन्म लेते ही बेटी को एक मां ने क्यों फेंका, दूसरी मां ने कैसे दी जीवन दान
जन्म लेते ही बेटी को एक मां ने क्यों फेंका, दूसरी मां ने कैसे दी जीवन दान
बरबीघा, शेखपुरा
पुरानी कहावत है की माता कभी कुमाता नहीं होती परंतु आज के युग में ऐसा भी देखा जाने लगा है। सामाजिक मजबूरी अथवा कई अन्य कारणों से माता अपने नवजात शिशु को मरने के लिए फेंक दे रही है । ऐसा ही एक मामला बरबीघा नगर के कोयरीबीघा हमें देखने को मिला।
कोयरीबीघा मोहल्ला में धान (मोरी) के खेत में एक नवजात शिशु को एक महिला के द्वारा मरने के लिए फेंक दिया गया। नवजात के रोने की आवाज सुनाई देने पर मोहल्ले की एक दूसरी महिला ने उसे बचाने के प्रयास में जुट गई और उसे सदर अस्पताल के नवजात शिशु केयर सेंटर में भर्ती कराया गया है।
डॉक्टरों की माने तो गुरुवार के सुबह में ही बच्ची का जन्म हुआ होगा। जिसे खेत में फेंक दिया गया है। बच्ची की स्थिति गंभीर बनी हुई है। नवजात शिशु को बचाने के लिए चिकित्सकों और नर्स का दल लगा हुआ है। वही बाल संरक्षण इकाई भी नवजात शिशु को बचाने में जुट गई है।
नवजात बच्चे को बेहतर इलाज हेतु सदर अस्पताल के शिशु वार्ड में भर्ती कराया गया है । एस एन सी यू वार्ड में जिला बाल संरक्षण इकाई के सीपीओ प्रदीप कुमार,सामाजिक कार्यकर्ता श्रीनिवास ,आउटरीच वर्कर विजय पासवान के द्वारा भर्ती कराया गया।
इस दौरान बाल कल्याण समिति के सदस्य सुनील कुमार भी उपस्थित थे।बच्ची को बचाने बाली कोयरीबीघा के रासमुनि देवी, पति सुदिल पासवान के द्वारा बच्ची को उठाकर बरबीघा से शेखपुरा लाया गया।
जिला बाल संरक्षण इकाई के अधिकारियों के द्वारा बच्ची का नामकरण ऑन ड्यूटी नर्स सुभद्रा कुमारी एवं सुमन कुमारी के नाम पर शिशु का नाम सुभद्रा -सुमन रखा गया है।फिलहाल बच्ची की स्थिति नाजुक है जिसपर चिकित्सक डॉ सतीश चंद्र बोस नजर बनाए हुए है तथा गहन चिकित्सा कक्ष में रखा गया है
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