श्री बाबू पर विशेष: तब बिहार प्रति व्यक्ति आय में देश में दूसरा स्थान रखता था
श्री बाबू पर विशेष: तब बिहार प्रति व्यक्ति आय में देश में दूसरा स्थान रखता था
(कृष्णा शाही, (पुत्री) पूर्व मंत्री, भारत सरकार,)
आधुनिक भारत के प्रमुख नेताओं में अग्रणी, स्वाधीनता संग्राम के महान सेनानी और आधुनिक बिहार के निर्माता बिहार केसरी भारतीय इतिहास के जाज्वल्यमान नक्षत्र थे। राज्य के विकास के लिये, जनता की सुख- शान्ति के महान् उद्देश्य की भावना से अभिप्रेरित बिहार केसरी एक सफल योजनाकार और रचनाकार सिद्ध हुए। उनके जीवन काल में लोक कल्याणकारी राज्य के निर्माण के लिये आर्थिक, सामाजिक और लोक-प्रशासनिक योजनाओं का सफल आयोजन हुआ, जिससे बिहार की प्रगति की आधारशिला रखी गयी। उनके नेतृत्व में बिहार की प्रति व्यक्ति आय उन दिनों पूरे देश में दूसरे स्थान पर थी।
उद्योग के क्षेत्र में बिहार की संपूर्ण प्रगति का एकमात्र श्रेय उन्हीं को मिलता है। बिहार में एशिया का सबसे बड़ा इंजीनियरिंग उद्योग, राँची हेवी इंजीनियरिंग, भारत का सबसे बड़ा इस्पात कारखाना बोकारो स्टील प्लान्ट, रासायनिक कारखाना, सिंदरी फर्टिलाइज़र तथा बरौनी तेल शोधक कारखाना स्थापित हुये। आधुनिक बिहार के निर्माता श्री बाबू ने पंचवर्षीय योजनाओं के अन्तर्गत कितनी ही योजनाओं के द्वारा देशवासियों के हितार्थ श्रमदान किये उनकी मानना थी, उनका उद्देश्य था समाज का एक एक आदमी आज़ाद हो, वह तालीम पाकर ऐसा बने कि उससे समाज सबल और संगठित हो। प्रशासनिक क्षमता संपूर्ण देश में द्वितीय नम्बर पर था। ऐसे कुशल प्रशासक, राष्ट्रीय | योद्धा, विद्वान, दूरदर्शी राजनीतिज्ञ एवं सुसंस्कृत, सुविकसित, विशाल और अति भावुक हृदय के महामानव का हम राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त के शब्दों में नमन करते हैं-
स्वराज्य संयुग के योद्धा,
सिंह-निहिंसन-वृत्ति वितृष्णा
लो स्वीकार करो हे विजयी,
इस जन का भी
जय श्री कृष्ण"
बिहार केसरी ने आनेवाले युग को आज से 50- 60 वर्ष पहले ही दूरदर्शी के रूप में देखा था जो आज समाज में, देश में, प्रान्त में हो रहा है उसकी सम्भावनाओं से उनका हृदय विचलित हो उठता था। उन्हीं के शब्दों में- 'मानव जाति एक ऐसे विपत्ति-स्थल पर आ चुकी है, जहाँ कि वह अपने समस्त इतिहास काल में नहीं पहुँची थी। भारत का भविष्य बाजी पर है, हम एक घने अंधकारपूर्ण युग अथवा सर्वनाश की सम्भावना के समक्ष खड़े हैं। आज हम एक तनाव भरे संसार में जी रहे हैं। यह स्थिति समाज के पुनर्निर्माण तथा मानवीय संबंध के ढांचे को इस प्रकार संगठित करने की मांग कर रही है, जो इस तनाव से मनुष्य की रक्षा कर, उठे शान्ति एवं प्रेम का जीवन जीने का अवसर प्रदान करे।"
आज की राजनीति, समाज सेवा की भावनायें, सोच, आजादी के तपे तपाये स्वतन्त्रता मेनानियों की विचारधाराओं से कितना भिन्न था यह इतिहास ही आनेवाले युग में बतायेगा ।
आलेख श्री कृष्ण रामरूची कॉलेज के द्वारा प्रकाशित स्मारिका से साभार लिया गया है।
डॉ श्री कृष्ण सिंह (श्री बाबू)
बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री
जन्म स्थान: माउर, बरबीघा,शेखपुरा
जन्म तिथि: 21 अक्टूबर 1887
पुण्य तिथि: 31 जनवरी 1961
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