पुलिस के अत्याचार और इंसाफ के लिए अकेले लड़ रहे हैं मो सैयद अरशद नसर
पुलिस के अत्याचार और इंसाफ के लिए अकेले लड़ रहे हैं मो सैयद अरशद नसर
शेखपुरा
पिपुल फ्रेंडली पुलिसिंग को लेकर भले ही कागजों पर खूब कागजी घोड़े दौराए जाते हो परंतु हकीकत में पुलिस आज भी पुराने पुलिसिया रंग में ही काम करती है । यह अगर नहीं होता तो एक सामाजिक कार्यकर्ता को जेल की सलाखों के पीछे नहीं जाना पड़ता और जेल में भी उनको प्रताड़ित नहीं किया जाता। दरअसल यह सब हुआ है शेखपुरा जिले के एक सामाजिक कार्यकर्ता के साथ । सामाजिक कार्यकर्ता चढ़ियारी गांव निवासी मो सैयद अरशद नसर ने जब पुलिस के खिलाफ थाना पर धरना दिया तो पुलिस को यह नागवार गुजरा। उक्त आरोप लगाते हुए सैयद अरशद नसर बताते हैं कि उनको झूठा और बनावटी केस के तहत गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। जेल में भी कक्षपाल मिथिलेश कुमार के द्वारा मारपीट की गई।
अनुमंडल पदाधिकारी को दिया आवेदन
बताया कि थाना के आगे हुए कुछ दिन पहले धरना पर बैठे थे जो स्थानीय पुलिस को नागवार गुजरा । इस वजह से उन पर झूठा मुकदमा एक महिला से करा दिया गया । छेड़खानी के मुकदमे में उनको गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया । अभी वह जमानत पर हैं। बताया कि वह इंसाफ के लिए आज भी लड़ाई लड़ रहे हैं। इसी को लेकर 24 जनवरी को समाहरणालय पर धरना देंगे।
समाहरणालय पर धरना देने के लिए शुक्रवार को अनुमंडल पदाधिकारी को एक आवेदन दिया और अनुमति मांगी है। आवेदन में उन्होंने कहा कि पुलिस के द्वारा उनको झूठा मुकदमा में फंसा दिया गया। जेल में कछपाल ने भी उनके साथ मारपीट की। पुलिस पदाधिकारी पर कार्रवाई और इंसाफ के लिए यह धरना उनके द्वारा दिया जाएगा।
मोहम्मद नसर इससे पहले इस पूरे मामले को लेकर मानवाधिकार आयोग से लेकर पुलिस के डीजीपी और मुख्यमंत्री तक से गुहार लगा चुके हैं और उनको पत्र भेजा है। उन्होंने बताया कि इंसाफ की लड़ाई में लगातार लड़ते रहेंगे और वह पुलिस के इस जुर्म के खिलाफ आवाज बुलंद करते रहेंगे।
वही इस मामले में शेखपुरा के थानाध्यक्ष विनोद राम ने बताया कि एक महिला के द्वारा छेड़खानी का मुकदमा किया गया था जिसमें उनको गिरफ्तार करके जेल भेजा गया है। इसमें पुलिस के द्वारा कुछ भी गैरकानूनी काम नहीं किया गया है।
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