धरोहर: 52 कोठरी 53 द्वार वाले अमावाँ महल की खूबसूरती देख चौंक जाएंगे
धरोहर: 52 कोठरी 53 द्वार वाले अमावाँ महल की खूबसूरती देख चौंक जाएंगे
नालंदा
बिहार के नालंदा जिले के आस्थावाँ प्रखंड के अमावाँ गांव में अमावाँ स्टेट का महल काफी पौराणिक है। अमावाँ स्टेट के बारे में कहा जाता है कि यहां के राजा हरिहर प्रसाद नारायण सिंह जब शासन करते थे तो दूर-दूर तक उनकी ख्याति थी। 1807 से लेकर 1952 तक इस राजघराने ख्याति रही।
वही धीरे-धीरे उनके परिवार के लोग बाहर चले गए तो राजमहल धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील होता गया। हालांकि आज भी विरासत के एक धरोहर के रूप में यह अपनी जगह कायम है। दूर-दूर से लोग इसे देखने के लिए आते हैं । इसी कड़ी में राजा हरिहर प्रसाद के प्रपौत्र हर्षेंद्र व उनकी पत्नी विदिशा शाही पिछले सप्ताह अपने गांव पहुंची।
उनके साथ विदेशी सैलानियों का दल भी यहां पहुंचा। इस दल में 70 विदेशी सैलानी थे जो 12 देशों से आए थे। बिहार के इस महल को देखकर सभी ने काफी प्रशंसा की। यहां पर होली मिलन का भी आयोजन किया गया। इस टीम में यूएस, यूके, कनाडा, सिंगापुर, नीदरलैंड , मैक्सिको, ब्राजील के सदस्य शामिल थे।
52 कोठरी 53 द्वार के रूप में प्रसिद्ध राजा अमावाँ महल
महल को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं परंतु महल के अंदर की खूबसूरती लोग नहीं देख पाते। महल को बाहर से ही देखकर लोग चले जाते हैं। इसी कड़ी में विदेशी सैलानियों के आने के बाद महल का दरवाजा खोला गया और विदेशी सैलानियों का भ्रमण कराया गया। परिवार वालों ने बताया कि अब इस विरासत को सहेजने की तैयारी की जा रही है। ग्रामीण पर्यटन के रूप में इसे विकसित किया जाएगा। धरोहर के रूप में संभालने का प्रयास शुरू हो गया है।
बताया जाता है कि उस दौर में यहां महल में बिजली के उत्पादन की व्यवस्था थी। रोशनी से क्षेत्र जगमग रहता था। मालगुजारी की व्यवस्था उस दौर में 35 लाख रुपए प्रत्येक महीना प्राप्त होता था।
Comment / Reply From
You May Also Like
Popular Posts
Newsletter
Subscribe to our mailing list to get the new updates!