Exclusive Report: बिहार के स्कूल में चखना की कहानी सुनकर चौंक जाएंगे आप
बिहार के स्कूल में चखना की कहानी सुनकर चौंक जाएंगे आप
शेखपुरा
आमतौर पर लोग चखना की कहानी सुन रखे हैं । चखना के बारे में किसी को कुछ भी बताने की जरूरत नहीं है परंतु आपको जानकार आश्चर्य होगा कि चखना के इस कहानी में बिहार सरकार के स्कूल का भी मामला जुड़ जाता है। और स्कूल में प्रत्येक दिन चखना का संबंध जुड़ा हुआ पाया गया है। और इसमें कोई नकारात्मक बात नहीं है बल्कि यह बच्चों के सेहत से जुड़ा हुआ सकारात्मक पहल है।
स्कूल में भोजन करती शिक्षिका एवं रसोइया
दरअसल, स्कूल में यह पूरी कहानी मध्यान भोजन एमडीएम के दौरान बनती है। जब चखना रजिस्टर पर आंकड़े को दर्ज किया जाता है।
इस संबंध में मिली जानकारी में बताया गया कि बिहार के स्कूलों में मध्यान भोजन एमडीएम के दौरान जब भोजन तैयार हो जाता है तो उसके लिए नियम बनाया गया है कि एक स्कूल के शिक्षक और भोजन बनाने वाली रसोईया दोनों को बने हुए तैयार भोजन को चखना है और उसकी गुणवत्ता को रजिस्टर पर दर्ज करना है।
जिस रजिस्टर पर एमडीएम की गुणवत्ता, उसकी कमी के बारे में लिखा जाता है उसे चखना रजिस्टर कहते हैं। जानकारी देते हुए बरबीघा के मध्य विद्यालय जयरामपुर के प्रधानाध्यापक देवानंद कुमार कहते हैं कि उनके स्कूल में चखना का अभियान प्रत्येक दिन चलता है । भोजन बनाने के बाद एक शिक्षक और एक रसोइया के द्वारा भोजन को पहले चख लिया जाता है और उसके बाद उसकी गुणवत्ता बताई जाती है। किसी तरह की परेशानी या कमी होने पर तत्काल उसे दुरुस्त किया जाता है। वह कहते हैं कि ऐसा करने से बच्चों को शुद्ध खाना मिलता है। खाना में यदि कोई कमी रहती है तो उसे पहले पकड़ लिया जाता है।
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