
विरोध में खबर छापने वाले एक संपादक को बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री ने ऐसे सिखाया सबक

न्यूज़ डेस्क
बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ श्री कृष्ण सिंह विद्या अनुरागी रहे थे। साथ ही साथ पत्रकारिता की स्वतंत्रता को लेकर पक्षपात भी उन्होंने नहीं किया। चौथे खंबे की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आजादी के पक्षधर थे। हालांकि उस समय के अंग्रेजी दैनिक सर्च लाइट के द्वारा उनके विरुद्ध लगातार आरोप से संबंधित खबरों का प्रकाशन किया जाता था। उस समय उसके संपादक एम एस एम शर्मा थे।

सर्च लाइट के प्रथम पृष्ठ पर कॉलम में एक स्तंभ लेखन नियमित रूप से उनके द्वारा किया जाता था। इस कॉलम के माध्यम से शर्मा जी श्री बाबू के राजनीतिक जीवन के साथ-साथ उनके व्यक्तिगत जीवन पर भी प्रहार करते थे।
कई बार आपत्तिजनक और निम्नस्तरीय लिख देते थे। एक बैठक में अपने संपर्क के लोगों के साथ बैठे हुए थे। इसी बीच इस कॉलम को लेकर चर्चा उठ गयी। एक मित्र ने उनसे कहा कि सर्च लाइट के विरुद्ध आपको कठोर कदम उठाना चाहिए। यह कॉलम बिना वजह आप को बदनाम करता है और निम्न स्तरीय आरोप भी लगाता है।
इसको पढ़ने के बाद लोगों को काफी गुस्सा आता है। यह गलत बातों को लिखता रहता है। इस के संपादक जानबूझकर ऐसा करते हैं।


श्री बाबू से कई अन्य लोगों ने सच लाइट के संपादक के विरूद्ध कठोर कदम उठाने की मांग की। अचानक श्री बाबू ने कहा कि मैंने सर्च लाइट के विरुद्ध अत्यंत कठोर कदम उठा लिया है और यह कठोर कदम है कि मैंने सर्च लाइट पढ़ना छोड़ दिया है।
उनके द्वारा ऐसा कहने पर सभी लोग स्तब्ध रह गए।
बिहार केसरी की पत्रकारिता के प्रति यह उदारता ही थी। उन्होंने अपने लोगों से कहा था कि पत्रकार का काम लिखना है। जानबूझकर ऐसा किया जा रहा है। इसलिए सर्चलाइट अखबार को मैंने पढ़ना छोड़ दिया है।
(साभार- तत्कालीन बरबीघा के विधायक एवं वर्तमान जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक चौधरी के द्वारा 116 मी जयंती समारोह पर बिहार केसरी श्री कृष्ण सिंह के प्रतिमा अनावरण अवसर पर प्रकाशित स्मारिका में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ जगन्नाथ मिश्रा के आलेख से।)


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