• Tuesday, 17 September 2024
Good News: राशनकार्ड के सहारे मौत से लड़ रहे लोग, सच्ची खबर है

Good News: राशनकार्ड के सहारे मौत से लड़ रहे लोग, सच्ची खबर है

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Good News: राशनकार्ड के सहारे मौत से लड़ रहे लोग, सच्ची खबर है

 

शेखपुरा

राशन कार्ड पिछले चुनाव में काफी चर्चा में रहा। यही राशन कार्ड जीवन के संघर्ष में लोगों को सहारा दे रहा है और लोग मौत को मध्य रहे हैं।

 

शेखपुरा के चेवाड़ा बाजार निवासी तरन्नुम खातून और सोनोव रजा किडनी खराब होने की समस्या से जुझ रहे है।चिकित्सक ने उनको डायलिसिस की सलाह दी। आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने से वह निराश हो गई। निजी चिकित्सालय में प्रति सप्ताह पांच से सात हजार का खर्च आता है। किसी ने सदर अस्पताल में भेज दिया। यहां नेफ्रो केयर के द्वारा पीपी मोड में डायलिसिस केन्द्र का संचालन हो रहा है। अब यहां दाेनों का नियमित डायलिसिस किया जा रहा है। 

 

राशन कार्ड के सहारे मौत को मात देने में उम्र की सीमा भी टूट रही है। नवादा जिला के लालबिगहा निवासी पच्चहर वर्षीय घीरेन्द्र महतो सप्ताह में दो बार शेखपुरा आकर छह साल डायलिसिस करा रहे है। वहीं शेखपुरा के चेवाड़ा निवासी राजो विश्वकर्मा की उम्र भी पैंसठ साल है।इनका भी डायलिसिस यहां किया जाता है। 

 

वहीं नालंदा जिला के मरकट्टा गांव निवासी पैंतिंस वर्षीय जय सिंह का भी सप्ताह में दो बार डायलिसिस किया जाता है। उन्होंने बताया कि निश्शुल्क की सुविधा की वजह से यहां आकर डायलिसिस कराते है। यह नहीं होता तो वे असमर्थ हो जाते। नवादा के ही कौआकोल के गिरीश सिंह पिछले पांच साल से डायलिसिस करा कर मौत को मात दे रहे है। वे अकेले आते है और यहां डायलिसिस करा कर लौट जाते है। वे कहते है कि निजि चिकित्सालय में डायलिसिस कराना इतना मंहगा है कि गरीब आदमी के बस से वह बाहर है। वैसे लोग हार का मौत को ही लगे लगा लेते है। सरकार की यह योजना उनके जैसों के जीवन के लिए वरदान है। जीवनदायिनी है। तकनीशियन अभिषेक कुमार पिछले कई सालों से कंपनी के लिए यहां काम कर रहे है। बताया कि प्रत्येक माह तीस से चालिस रोगियों का डायलिसिस किया जाता है। प्रति दिन दस रोगी इसमें शामिल है। किन्हीं का सप्ताह में दो तो किंहीं का तीन बार यह होता है। इसके लिए रोगी से कोई खर्च नहीं लिया जाता है। सरकार कंपनी को खर्च देती है। बताया कि हां अरियरी के वर्षा गांव निवासी सत्तरह साल के गोपाल का भी डायलिसिस हो रहा है तो पच्चहर साल के धीरेन्द्र महतो का। शेखपुरा नगर के रंजना कुमार की डायलिसिस अलग कमरे में किया जा रहा है। वह हेपेटायटिस से प्रभावित है। यहां उनके अलावा सुशील कुमार भी तकनीशियन है। यहां एक डा पुरुषोत्तम भारद्वाज की भी तैनाती है। हलांकि उस समय वे यहां नहीं थे। जीएनएम के रुप में हेमंत कुमार काम करते है। 

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डा कुणाल सिंह, किडनी रोग विशेषज्ञ

शेखपुरा अस्पताल में किडनी के रोगियों की समय समय पर देखभाग के लिए बिहारशरीफ किडनी रोग विशेषज्ञ डा कुणाल आते है। उन्होंने बताया कि आजकल किडनी की समस्या बढ़ी है। इसका मुख्यकारण अनियंत्रित राक्तचाप बीपी तथा अनियंत्रित मधुमेह है। इसपर नियंत्रण रखना अनिवार्य है। कुछ दर्दनिवारक दवा का सेवा भी इसके लिए घातक है।

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