• Thursday, 09 May 2024
पढ़िए शहाबुद्दीन की छाती तोड़ने वाले जांबाज राउडी राठोड़ की कहानी

पढ़िए शहाबुद्दीन की छाती तोड़ने वाले जांबाज राउडी राठोड़ की कहानी

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रंजन ऋतुराज / दालान

बात २००६ के दीपावली के समय की है – पटना में था – एक सुबह फोन आता है – बिहार सरकार के एक पुलिस अफसर मुझसे मिलना चाहते हैं वो भी एक अस्पताल में जहाँ उनकी बीमार माँ का इलाज़ चल रहा है ! मै उनसे मिलने पहुच गया ! अस्पताल के पास अजीब नज़ारा था – करीब पाच – छ: सफ़ेद पुलिस की जिप्सी और करीब बीस इंडो तिब्बत पुलिस फ़ोर्स के जवान – सभी के हाथ में – एके 47 . मै अस्पताल के अंदर गया – वहाँ एक रूम में वो पुलिस अफसर अपनी माँ के सिराहने बैठे

बात शुरू हुई – मेरा पहला ही प्रश्न था – इतना सुरक्षा ?? वो

हंसने लगे – बोले – मेरी जरुरत नहीं – गृह विभाग ने जबरदस्ती दिया हुआ है – फिर मै पूछा – आखिरकार क्यों – इतनी सुरक्षा तो सिर्फ मुख्यमंत्री / राज्यपाल के पास है – वो धीरे से बोले – अभी हाल में ही – मैंने सिवान के सांसद ‘शहाबुद्दीन’ की कमर तोड़ा है – मै सकते में आ गया – क्योंकी शहाबुद्दीन की कमर टूटने की खबर मुझे नहीं थी !
नाम है – सुधीर कुमार , सीडीपीओ , बिहार सरकार – 1989 बैच बीपीएससी टॉपर – मेरे ननिहाल बरबीघा के रहने वाले !
फिर वो कहानी बताने लगे – सिवान जेल में घूमने गया था – उधर शहाबुद्दीन दरबार लगा के बैठे थे – मुझे देख गाली शुरू कर दिए – माँ की गाली – जीवन में सबकुछ बर्दास्त पर् माँ और जाति लगा के गाली नहीं बर्दास्त ! मेरे साथ कुछ और पुलिस इन्स्पेक्टर थे – सब डर से गए – मै आगे बढ़ा – उधर से भी लोग आगे बढे – उसने अपने लोगों को रोका – मैंने अपने लोगों को रोका – भिडंत चालू – अंत में मैंने एक लात पीठ पर् जड़ा – कमर टूट गयी – शहाबुद्दीन की – फिर बेल्ट से – दे बेल्ट …दे बेल्ट .. !

1989 बैच के अधिकारी


मै चुप चाप सब सुन रहा था – एक प्रश् पूछा – जिस आदमी से पूर्व की सरकार डरती हो – उसको मारने की हिम्मत कैसे आई – कहाँ से आया – इतना गुस्सा ? वो बोले – 1989 बैच में टॉप किया – डिप्टी एसपी बना – ट्रेनिंग के बाद आया तो लालू की सरकार – पन्द्रह साल ‘जाति’ के नाम पर् ‘पटना सेक्रेटेरियट’ में कैद रहा – पूरी जवानी बित गयी – कभी खुद को पुलिस अफसर नहीं समझ पाया ! नितीश की सरकार आई – तब पहली पोस्टिंग हुई – वो भी सिवान में – जैसे ही जेल में घुसा – वो माँ और जाति के नाम पर् गाली देना शुरू कर दिया – जिस जाति को लेकर बिना किसी वजह पूरी जवानी यूँ ही गुजार दी – फिर सोचा – इसका कुछ रिटर्न तो मिलना ही चाहिए – मैंने पूछा – क्या ऊपर से कोई आदेश – बोले – कुछ नहीं -कोई नहीं – बस खुद का इरादा था …

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शहाबुद्दीन का था रुतवा


दोस्तों वो एक दौर था …सिवान और आस पास का एक पत्ता भी शहाबुद्दीन के मर्जी के खिलाफ नहीं डोलता था – सन २००० में नितीश की सरकार सात वोटों से गिर गयी थी – जिसमे दस विधायक तो खुद शहाबुद्दीन ने पाटलिपुत्र अशोक होटल में कैद कर लिया था – लालू के लिये !
कौन कहता है ..आसमां में छेद नहीं होता ..एक पत्थर तो तबियत से उछालों ..यारों ….

~ 28.06.2012 / दालान

2006 की घटना को 2012 में लिखा और 2020 में पुनः सुधीर दा से बात हुई । लेकिन लंबी बात हुई । बरबीघा क्षेत्र के सबसे प्रतिष्ठित शिक्षक के पुत्र है । अब रिटायरमेंट के बाद एक पेज बना कर कुछ कुछ लिखते रहते हैं – भारतीय संस्कृति की खोज – नाम का फैंस पेज ।
इस घटना के साथ साथ जो बात मुझे सबसे अच्छी लगी थी वो थी – इतने व्यस्त पद पर रहते हुए वो अपनी बीमार मां की सेवा में चौबीस घंटा लगातार 13 दिन अस्पताल में रहे ।
इन दोनों काम के लिए करेजा चाहिए और यह करेजा आत्मा के अंदर बसी ईमानदारी के बगैर नहीं आ सकती ।
वो अपने पेज पर बातों बातों में लिखते हैं कि शहाबुद्दीन कि कमर तोड़ने के बाद – सबसे ज्यादा खुश लालू के ही पार्टी के लोग हुए थे 😉 यही है राजनीति

~ रंजन ऋतुराज / दालान / 28.06.2020

लेखक के फेसबुक पोस्ट से साभार।

पटना निवासी लेखक एक प्रखर राजनीतिक चिंतक हैं और इंजीनियरिंग कॉलेज के प्राध्यापक रहे हैं।

नोट: सुधीर सिंह बरबीघा के खोजगाछी गांव निवासी है।

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